आज एक बार फिर से युवा पीढ़ी में हमारी प्राचीन संस्कृति और संस्कार भरने की जरूरत: डीसी

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– समाज को सही दिशा देने में सूर्य कवि पं.लख्मीचंद, गंधर्व कवि नंदलाल पाथरवाली, मांगेराम, बाजे भगत, धनपत सिंह और मेहर सिंह आदि कवियों का रहा है अहम योगदान

– गांव पाथरवाली में गंधर्व कवि स्व. नंदलाल की स्मृति में आयोजित हुआ धार्मिक रागनी गायन कार्यक्रम

भिवानी, अगस्त। डीसी महावीर कौशिक ने कहा कि वर्तमान समय में युवा पीढ़ी में प्राचीन संस्कृति और संस्कारों को भूल रही है, जो कि समाज के लिए घातक है। आज फिर से युवाओं में प्राचीन संस्कार भरने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें अपनी प्राचीन हरियाणवी संस्कृति को जीवंत करना होगा। उन्होंने कहा कि सूर्य कवि पं.लखमीचंद, गंधर्व कवि नंदलाल पाथरवाली, मांगेराम, बाजे भगत, धनपत सिंह और मेहर सिंह आदि कवियों ने अपनी रचनाओं व कविताई के माध्यम से समाज को सही रास्ता दिखाने का काम किया है। समाज में उनके योगदान को कभी भुलाया नही जा सकता।

डीसी श्री कौशिक गांव पाथरवाली में स्व. गंधर्व कवि नंदलाल की स्मृति उनकी स्मृति स्थल पर आयोजित धार्मिक रागनी गायन कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता लख्मीचंद फोक फांडेशन के अध्यक्ष एवं सेवानिवृत्त एचसीएस अधिकारी आरसी शर्मा ने की। कार्यक्रम में उपायुक्त श्री कौशिक के पिता जी रामेश्वर दास शर्मा, सीआरपीएफ के सेवानिवृत डीआईजी बजरंग लाल शर्मा, सेवानिवृत आईएएस स्व. केसी शर्मा की धर्मपत्नी माया शर्मा विशेष रूप से मौजूद रहीं। अपने संबोधन में डीसी श्री कौशिक ने कहा कि हरियाणवी कवियों व रचनाकारों ने समय-समय पर अपने भजनों-उपदेशों से समाज में फैली कुरीतियों को मिटाने का काम किया है। देश की आजादी के समय में भी कलाकारों ने वीर रस की रचनाओं से समाज को एक रूपता में पिरोकर देशभक्ति भावना से ओतप्रोत करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि समय-समय के साथ विशेषकर युवा पीढ़ी पश्चिमी संस्कृति व सभ्यता के प्रभाव से अपने पुराने संस्कारों को भूल रही है, जो कि समाज के लिए सही नही है। उन्होंने कहा कि हमें अपने बच्चों में हमारे पुराने संस्कार व रीति रिवाज जीवंत करने होंगे, इनमें सूर्य कवि पं.लख्मीचंद, गंधर्व कवि नंद लाल पाथरवाली, मांगेराम, बाजे भगत, धनपत सिंह और मेहर सिंह आदि कवियों की रचनाओं का अहम योगदान हो सकता है।

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श्रोताओं की मांग पर डीसी ने भी सुनाई दो शिक्षाप्रद रागनी

कार्यक्रम के दौरान उपस्थित श्रोताओं ने डीसी श्री कौशिक से भी रागनी सुनाने की फरमाईश की, जिस पर डीसी ने सहर्ष स्वीकार किया।

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