फरीदाबाद। पहले दृश्य में श्री हरि विष्णु माता कौशल्या के स्वप्न में आते हैं और उन्हें विराट रूप में दर्शन देकर उनके गर्भ में स्थान मागंते दिखाई पड़े। कमेटी द्वारा तैयार किया भव्य विराट रूप का आकर्षण देखते बनता था, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और उसके बीच नाग पर खड़े श्री नारायण का दृश्य मंत्रमुग्ध करने वाला था। विष्णु की भूमिका में सौरभ और कौशल्या बने मनोज शर्मा ने मनभावने प्रदर्शन से उमड़े जन समुदाय का दिल जीत लिया। विष्णु ने माता कौशल्या से कहा “ले जन्म कोख से तेरी मैं दशरथ नंदन कहलाऊंगा, मिटा कर वंश असुरों का तेरी कीर्ति बढ़ाऊंगा”। इसी दृश्य के बाद भगवान राम सहित अन्य तीनों भाइयों के जन्म की खुशियाँ मनाई गयी, वहां दूसरी और रावण के असुरों ने ऋषि विश्वामित्र (वैभव लड़ोइया) को वन छोड़ने पर विवश कर दिया। विश्वामित्र ने दशरथ (निशांत नागपाल) के दरबार में जाकर राम और लक्ष्मण की मांग रखी जिसे पहले तो दशरथ ने पूरा करने से इन्कार किया पर बाद में कुलगुरु वशिष्ठ (हिमांशु कपूर) के आग्रह पर राम लक्ष्मण दे दिए। वैभव का अभिनय विश्वामित्र के किरदार को बखूबी पूरा करता दिखा और फिर आया वो दृश्य जिसका दर्शकों को बेसब्री से इंतज़ार था। महा राक्षसी तड़का (प्रथम सर्राफ) का वध और उसपर पंजाबी भाषा में किया गया स्यापा। विजय रामलीला का यह प्रसंग पिछले 2 दशक से इतना मशहूर है की लोगों का अम्बार उमड़ पड़ता है इसे देखने। पंडित रघुनाथ शर्मा के गुदगुदाते टप्पों से मैदान में मौजूद हर दर्शक हसी से लोट पोट होता रहा। अंत में राम लक्ष्मण व सीता बड़े होते दिखाई दिए। सीता ने धनुष उठाया और राजा जनक ने स्वयंवर का एलान किया। आज इस मंच पर होगा सीता स्वयंवर।