भारतीय न्याय संहिता को लेकर जागरूकता शिविर आयोजित :-

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– अधिनियम के प्रावधानों को दी गई जानकारी

रोहतक, 13 जुलाई : स्थानीय राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में जिला महिला सशक्तिकरण केंद्र के तहत भारतीय न्याय संहिता एक्ट पर विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में मुख्य प्रवक्ता जिला विधिक प्राधिकरण सेवा से विजयपाल रहे। विजयपाल ने 11वीं कक्षा की छात्राओं को भारतीय न्याय संहिता एक्ट से संबंधित विभिन्न प्रावधानों के बारे में जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि पहले से जो कानूनी प्रावधान चले आ रहे थे, आधुनिक समाज की आवश्यकता को देखते हुए उनमें जरूरी बदलाव किए गए है। महिला व पुरुष दोनों को बराबर के कानूनी अधिकार देते हैं। इनमें हिंसा व भेदभाव से मुक्त रहने का अधिकार, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के उच्चतम प्राप्त करने योग्य आनंद लेने का अधिकार, शिक्षित होने का अधिकार शामिल हैं।

विजयपाल ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) भारत गणराज्य में आधिकारिक दंड संहिता है। यह दिसंबर 2023 में संसद द्वारा पारित होने के बाद 1 जुलाई 2024 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी)को बदलने के लिए लागू हुई, जो ब्रिटिश भारत के समय से चली आ रही है। भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थी, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक नया अध्याय जोड़ा गया है, किसी बच्चे को खरीदना व बेचना जघन्य अपराध बनाया गया है और किसी नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म के लिए मृत्युदंड या उम्रकैद का प्रावधान जोड़ा गया है। शादी का झूठा वादा करने, नाबालिग से दुष्कर्म करने, भीड़ द्वारा पीट कर हत्या करने, झपटमारी आदि मामले दर्ज किए जाते हैं। लेकिन मौजूदा भारतीय दंड संहिता में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए कोई विशेष प्रावधान नहीं थे।

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