महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रगति हॉल में किया गया किशोर न्याय संरक्षण अधिनियम विषय पर सेमिनार का आयोजन

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-सेमिनार में जिला बाल संरक्षक अधिकारी रेतू गिल ने दी किशोर न्याय अधिनियम-2015 की जानकारी

उपायुक्त डॉ० मनेाज कुमार के निर्देशन में महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मंगलवार को प्रगति हाल में बाल संरक्षण से संबंधित सभी हितधारको को किशोर न्याय अधिनियम, 2015 तथा पोक्सो एक्ट के प्रति जागरूक करने के लिए सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान जिला बाल संरक्षण अधिकारी रितू गिल ने बाल संरक्षण अधिनियम 2015 के संशोधन बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि भारत में बच्चों के प्रोटेक्शन के लिए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट बनाया गया है। अधिनियम किशोर न्याय की एक अलग प्रणाली का प्रावधान करता है, जो वयस्क आपराधिक न्याय प्रणाली से भिन्न है। इसका मतलब यह है कि कानून का उल्लंघन करने वाले बच्चों के साथ अपराधी जैसा व्यवहार नहीं किया जाता है। उनके साथ ऐसे बच्चों जैसा व्यवहार किया जाता है जिन्हें देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता होती है। यह अधिनियम बच्चों के लिए कई सुरक्षा उपाय प्रदान करता है।

उन्होंने बताया कि इसके तहत नाबालिग द्वारा किए गए अपराध की सजा तय की जाती है। साथ ही ऐसे मामलों के लिए कोर्ट भी अलग होते है। जेजे एक्ट में 18 साल के कम उम्र के बच्चे को बच्चा ही माना गया है। जिसके तहत नाबालिग अपराधियों की अधिकतम सजा तीन वर्ष दी जा सकती है। इस दौरान उन्हें सुधार और देख-भाल के लिए अलग बाल गृह में रखा जाता है। हालांकि, किसी जघन्य अपराध में बच्चे का ट्रायल एक वयस्क के रूप में किया जा सकता है। इसके लिए नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने ड्राफ्ट गाइडलाइन भी तैयार की है।

उन्होंने बताया कि निर्देशों में कहा गया है कि ऐसे मामलों में बच्चे की मानसिक और शारीरिक क्षमता, अपराध के परिणामों को समझने की क्षमता और जिन परिस्थितियों में उसने वह अपराध किया है, उसके संबंध में एक प्राइमरी अससेमेंट तैयार किया जाए। उसी के हिसाब से फिर कोई भी आदेश पारित किया जाए। ड्राफ्ट में कहा गया है कि रिपोर्ट में बच्चे से जुड़ी सभी बातें शामिल होनी चाहिए। जैसे उसका सामाजिक, जनसांख्यिकीय विवरण, मनोवैज्ञानिकों और अन्य विशेषज्ञों द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का विवरण आदि होना जरूरी है।

उन्होंने बताया कि बच्चों को हर प्रकार के शोषण से संरक्षण के लिए पोक्सो अधिनियम बनाया गया है, जिसके तहत शिकायत मिलने पर आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है। उन्होंने कहा कि शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करनी चाहिए। बच्चों के लिए जिला बाल संरक्षण इकाई विशेष रूप से मौजूद है जो उन्हें हर प्रकार की विपरीत परिस्थितियों में मदद प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि कोई भी बच्चा जिसे किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा हो तो वह अपनी शिकायत व समस्या के समाधान के लिए चाईल्ड हैल्पलाईन नंबर-1098 पर कॉल कर सकता है। उन्होंने कहा कि पोक्सो एक्ट की धारा 19 के तहत संबंधित बाल कल्याण पुलिस अधिकारी को जानकारी देना अनिवार्य है तथा बाल कल्याण पुलिस अधिकारी के द्वारा तुरंत एफआईआर दर्ज करते हुए अग्रिम कार्यवाही की जाएगी।

इस मौके पर बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष अनिता शर्मा, सदस्य सुनिता, बबीता, सभी बाल कल्याण पुलिस अधिकारी सहित सभी बाल देखभाग गृह का स्टाफ मौजूद रहे।

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