नियमों के विरूद्घ प्रचार सामग्री छापने पर हो सकती है कार्यवाही

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चरखी दादरी, 20 अगस्त। उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी राहुल नरवाल ने जिला के प्रिंटर्स पै्रस मालिकों को निर्देश दिए हैं कि वे बिना जांच पड़ताल व नियमों के विरूद्ध जाकर कोई भी चुनाव सामग्री प्रकाशित न करें। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान मुद्रक व प्रकाशक के नाम के बिना चुनाव से संबंधित पैम्पलेट व पोस्टर आदि छापना जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 127 ए का उल्लंघन है और ऐसा करने वाले प्रिंटर मालिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-188 के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

उन्होंने प्रिंटर्स मालिकों के साथ बैठक में निर्देश दिए कि चुनाव से संबंधित हरेक सामग्री पर मुद्रक व प्रकाशक का नाम अवश्य छापे। भारतीय चुनाव आयोग ने विधानसभा उम्मीदवारों के खर्च की सीमा निर्धारित कर रखी है इसलिए यह जरूरी है कि उनके पम्पलैट व पोस्टर आदि के खर्च का भी पूरा हिसाब किताब रहे। चुनाव से संबंधित पम्पलेट व पोस्टर आदि उसी स्थिति में छापे जब सामग्री छपवाने वाला व्यक्ति दो गवाह के हस्ताक्षर के साथ हलफनामा दे। ऐसे पोस्टर व पम्पलेट आदि छापने के बाद उनकी एक कॉपी, हलफनामे की काफी व बिल की काफी जिला मजिस्ट्रेट या चुनाव कार्यालय को भेजनी होगी और राज्य स्तर पर मुख्य चुनाव अधिकारी को कॉपी भेजकर यह बताना होगा कि अमूक व्यक्ति ने चुनाव से संबंधित कितनी संख्या में पोस्टर अथवा पम्पलेट छपवाएं है और उनके खर्च का भी विवरण देना होगा।

उन्होंने कहा कि कॉपी से कॉपी करना भी इसी श्रेणी मेें आता है। जनप्रतिनिधि अधिनयम 1951 की धारा-127 ए को लागू करवाने के लिए धारा-163 के तहत बतौर जिला मजिस्टे्रट पहले ही आदेश जारी किए जा चुके है। चुनाव पम्पलेट/पोस्टर का अर्थ प्रचार के लिए प्रयोग किए जाने वाले उन सभी कागजातों से है, जिनमें किसी भी राजनैतिक दल या विधानसभा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवार से संबंधित प्रचार की जानकारी हो।

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