पटना (Front News Today) हमारा पटना एक औसत दर्जे का शहर है। लेकिन जन्मभूमि और कर्मभूमि से प्यार तो सबको होता है। इसलिए हम इसकी तुलना महानगर से करते है। वैसे भी बिहार में रहने वालों के लिए हमारा पटना महानगर से कम नही। पिछले साल तो विदेशी शहर वेनिस से भी इसकी तुलना हुई थी। काफी गौरान्वित हुए थे लोग।
इस साल लोग दुखी है। बारिश काफी हो रही है लेकिन पानी 24 घण्टा भी ठहर नही पा रहा है। बच्चे पानी मे कागज की और बड़े लकड़ी के नाव नही चला पा रहे है। दुखी मन का अपना साम्राज्य होता है और वो किसी न किसी प्रकार मन को दुख से निकलने के लिए अपना रास्ता खोज लेते है।
जब बड़े बड़े शहर कोविद-19 की संख्या बढ़ाने में अपना नाम देश विदेश में बना रहे थे तब हमारे पटना में इसकी संख्या हमारे आले दर्जे का इम्मयून सिस्टम का गवाही दे रहा था। उसमे भी जैसा अनुमान था कि गर्मी आते ही बचा खुचा कोरोना भी खत्म हो जाएगा लेकिन उपरवाले को ये मंजूर नही था। इसबार गर्मी बहुत ज्यादा नही पड़ी और पटना के भाग्य खुल गए। अब सहसा हमारे यहाँ भी नंबर बढ़ने लगे और अब तक लगभग 90 कंटेन्मेंट जोन बन गए। आने वाले समय मे इसमे और वृद्धि की संभावना बनी रहेगी। दुर्भाग्य से जांच किट की काफी कमी है नही तो जल्द हम दिल्ली को तो टक्कर दे ही सकते है। जैसे भारत विश्व मे तीसरे स्थान पे आया आने वाला समय मे हम भी भारत मे कोई बड़ा स्थान प्राप्त कर सकते है और बड़े महानगर की तरह हमारे पटना का नाम एक बार फिर आ जायेगा। सरकार जितना भी प्रचार प्रसार कर ले, गाइडलाइन जारी कर ले, लोगो की सड़क पे भीड़, बैंक में पासबुक अपडेट कराने वालों की भीड़ या बिजली आफिस में मोबाइल नंबर अपडेट करवाने वालो की भीड़ ने ठान लिया है कि अब हम अपने शहर को एक मुकाम पे पहुंचा के रहेंगे। आशा है सरकार कोई नया लॉकडाउन करके लोगो के इस प्रयास में खलल नही डालेगी।