यह गद्दी राम की है और राम ही गद्दी नाशहीन होगा

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फरीदाबाद: कल रात विजय रामलीला कमेटी के इतिहासिक मंच पर बही अश्रुओं की धारा। न केवल मंच पर कलाकार बल्कि दर्शकों की आंखे नम रही। प्रथम दृश्य में ननिहाल से लौटे भरत शत्रुघन ने सूनी आयोध्या देखी और सीधे महलों में जाकर माता कैकयी से कारण पुछा और कैकयी ने बड़ी चालबाज़ी से सारा व्यतांत कह सुनाया । भरत के रोल में कमेटी के महा सचिव वैभव लरोइया ने अपने अभिनय से सबकी आँखे नम कर दी। कैकयी को धुत्कार भरत ने कौशल्या को वचन दिया कि “यह गद्दी राम की है और राम ही गद्दी नाशहीन होगा”। भरत रोते बिलखते हुए चले राम मनाने दूसरी और केवट प्रसंग में कमेटी के सह निर्देशक अशोक नागपाल ने केवट बन भगवान को गंगा पार करवाया, प्रेम और भक्ति से सने इस दृश्य में केवट ने राम चरण धो कर उस जल को जब पीया तो तालियों की गड़गड़ाहट से मैदान गूँज उठा । अगले दृश्य में राम भरत मिलन ने तो जैसे सबको ही राममयी कर दिया। राम के रोल में सौरभ ने अपने खड़ाऊ दे कर भरत को किया अयोध्या के लिये विदा। राम और भरत का विछोड़ा देख दर्शक हुए भाव विभोर। इस दृश्य में वर्षों से भाव का सागर भरने में काम आता रहा है पूर्व निर्देशक स्वर्गीय विश्वबंधु शर्मा जी द्वारा रचित गीत – “दिन कभी ऐसे भी आएंगे ये मालूम ना था”। आज इसी मंच पर लक्ष्मण द्वारा काटी जाएगी श्रुपनखा की नाक और होगा माँ सीता का हरण।

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