– कृषि विभाग द्वारा किसान जागरूकता सेमिनार आयोजित
भिवानी,16 अक्टूबर। डीसी महावीर कौशिक के मार्गदर्शन में एसडीएम महेश कुमार की अध्यक्षता में स्थानीय पंचायत भवन में किसान जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा सीजन खरीफ-2024 के अंतर्गत फसल अवशेष प्रबंधन व प्राकृतिक खेती पर आयोजित किया गया। इसमें जिला के किसानों को फसल अवशेष न जलाने बारे प्रेरित किया गया।
सेमिनार को संबोधित करते हुए एसडीएम महेश ने कहा कि कहीं पर भी पराली नहीं जलाने चाहिए। पराली के निस्तारण के लिए कृषि विभाग द्वारा यंत्र भी उपलब्ध करवाए गये हैं। उन्होंने कहा कि खेतों में पड़े अवशेष न जलाएं जाएं, इसके लिए कृषि विभाग द्वारा अन्य गतिविधियों के माध्यम से किसानों को जागरूक करने का काम किया गया है। उन्होंने कहा कि पराली जलने से जहां भूमि की उर्वरक शक्ति खत्म होती है वहीं वातावरण भी प्रदूषित होता है, इसके साथ-साथ स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इस दौरान एसडीएम ने बताया कि कृषि, पंचायत, राजस्व, शिक्षा व पुलिस विभाग को भी फसल अवशेष प्रबन्धन हेतू किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
कृषि तथा किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ. विनोद फौगाट ने बताया कि भिवानी जिले के 65 गांवों में धान की खेती की जाती है जिनमें से 32 गांवों में आगजनी घटनाएं होने की संभावना ज्यादा है। इन 32 गांवों के सरपंचों पटवारियों, नम्बरदारों, ग्राम सचिवों व पुलिस विभाग से सम्बधित एसएचओ को निर्देश दिये गए हैं कि ग्राम स्तरीय गठित टीम के साथ जैसे ही आगजनी की घटना होती है तो संबंधित किसान के खिलाफ त्वरित कार्यवाही करें तथा जुर्माना या एफआईआर दर्ज करें।
सहायक कृषि अभियन्ता ईजी नसीब सिंह धनखड़ ने बताया कि धान बिजाई वाले सभी गांवों में दो-दो बार ग्राम स्तरीय जागरूकता शिविर लगाये जा चुके हैं। सरकार द्वारा पराली प्रबन्धन हेतु किसानों को 1000 रूपए प्रति एकड की दर से प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी। किसानों ने पराली प्रबन्धन हेतु जिन कृषि यंत्रों का ऑन लाईन पंजीकरण करवाया है उन सभी किसानों को नियमानुसार अनुदान राशि दे दी जाएगी। उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग को भी स्कूलों में प्रार्थना के समय फसल अवशेष ना जलाने की शपथ दिलाकर विद्यार्थियों को जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले के तीन गांव (सैय, सुई व चांग) गत वर्ष आगजनी की घटना होने के कारण यलों जौन में डाल दिये गये थे। अगर इन तीन गांवों में इस वर्ष आगजनी की कोई घटना नहीं होती है तो ये गाव यैलों जौन से ग्रीन जौन में आ जाएंगे तथा उनकी पंचायतो को 50 हजार रूपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे सरपंचों, नंबरदारों व विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ मिलकर जीरों बर्निंग का लक्ष्य प्राप्त करने में पूरा-पूरा सहयोग करें।