दिल्ली, 21 अक्टूबर 2024: ज़ेल एजुकेशन ने एक विशेष गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें भारत की प्रमुख यूनिवर्सिटीज के कुलपति और डीन ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में वित्तीय शिक्षा के भविष्य पर गहन चर्चा की गई, ताकि इसे आधुनिक जरूरतों के अनुसार नई दिशा दी जा सके। डेलॉइट इस आयोजन का प्रमुख भागीदार रहा, जिसका मकसद शिक्षा जगत और उद्योग के बीच सहयोग बढ़ाना था।
इस चर्चा का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि छात्र ग्लोबल वर्कफोर्स की बदलती जरूरतों के अनुकूल तैयार हों और नए-नए शिक्षण तरीकों की खोज कर सकें। सम्मेलन में फिनटेक और ईएसजी (पर्यावरण, समाज और अभिशासन) जैसे नए ट्रेंड्स पर भी चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने वित्तीय पेशेवरों की अगली पीढ़ी को तैयार करने और उन्हें भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौतियों का सामना करने के लिए सर्वोत्तम तरीके खोजने पर जोर दिया।
ज़ेल एजुकेशन के सीईओ और को-फाउंडर प्रथम बारोट ने सम्मेलन में कहा, “हमारा मानना है कि फिनटेक और ईएसजी का भविष्य ऐसे लीडर्स पर निर्भर है, जो व्यवसाय में इन अवधारणाओं को अपनाकर स्थायी मॉडल तैयार कर सकें।” उन्होंने कहा, “हम विद्यार्थियों को न केवल सैद्धांतिक ज्ञान बल्कि प्रायोगिक कौशल भी सिखा रहे हैं, ताकि वे वास्तविक अनुभव से सीख सकें। हमारे उद्योग भागीदारों के सहयोग से हम ऐसे शैक्षणिक रास्ते बना रहे हैं, जो विद्यार्थियों को भविष्य की वित्तीय चुनौतियों के लिए तैयार करें। हमारा उद्देश्य है कि वे सक्षम पेशेवरों के साथ-साथ इनोवेटिव लीडर्स भी बनें, जो भविष्य के वित्तीय परिदृश्य को नया आकार दे सकें।”
इस सम्मेलन की मुख्य थीम थी ऐसे समाधानों की पहचान करना, जो भविष्य की वित्तीय शिक्षा को नई दिशा दे सकें। ज़ेल एजुकेशन का उद्देश्य है कि शिक्षा को उद्योग की जरूरतों के अनुसार तैयार किया जाए, ताकि विद्यार्थी जरूरी कौशल सीख सकें और तेजी से बदलते पेशेवर माहौल में सफल हों।
सम्मेलन में उपस्थित पूर्व कैबिनेट मंत्री और चांसलर सुरेश प्रभु ने वित्तीय शिक्षा में नए दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सैद्धांतिक ज्ञान और प्रायोगिक अनुभव के बीच कोई अंतर नहीं होना चाहिए, खासकर फिनटेक के क्षेत्र में। श्री प्रभु का मानना है कि विद्यार्थियों को भविष्य की वित्तीय चुनौतियों के लिए तैयार करना आज की शिक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए।
गोलमेज में दो पैनल चर्चाएं भी हुईं, जो विचारों को प्रेरित करने वाली थीं। पहली चर्चा में ईएसजी के सिद्धांतों के उद्भव और भारतीय अर्थव्यवस्था में उनकी बढ़ती प्रासंगिकता का मूल्यांकन हुआ। दूसरी पैनल चर्चा नौकरियों के अवसर बनाने और फाइनेंस में मानवीय विशेषज्ञता के महत्व तथा तकनीकी ऑटोमेशन के बीच संतुलन को जानने में फिनटेक की बढ़ती भूमिका पर केन्द्रित थी।
इस कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि एवं पैनलिस्ट – वरिष्ठ राजनेता एवं भूतपूर्व वरिष्ठ सांसद श्री सुरेश प्रभु, श्री सागर लखानी (यूनिकस कंसल्टेक इंक. में पार्टनर), श्री एंथनी क्रैस्टो (प्रेसिडेंट, एश्योरेन्स एवं चीफ स्ट्रैटेजी ऑफिसर, डेलोइट साउथ एशिया), श्री जेनुल संघानी (डेलोइट में पार्टनर), श्री सलमान कुरैशी (ज़ेरोधा में हेड ऑफ सेल्स), श्री प्रतीक अग्रवाल (डेलोइट में पार्टनर) और श्री निरव पटेल (पार्टनर, यूनिकस कंसल्टेक इंक.) शामिल थे। इस सम्मेलन में 40 से ज्यादा यूनिवर्सिटीज के डीन, निदेशक और कुलपति भी उपस्थित थे, जैसे कि एमिटी यूनिवर्सिटी, एनएमआईएमएस डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी, सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी, एक्सआईएम यूनिवर्सिटी, आदि।
फाइनेंस के क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है और इसलिये ऐसी चर्चाओं का यह सुनिश्चित करने में बड़ा महत्व है कि शैक्षणिक संस्थान बाजार की मांगों को पूरा करने में सबसे आगे रहें। ज़ेल एज्युकेशन ने शिक्षा जगत एवं उद्योग के बीच संवाद को बढ़ावा देने के लिये अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। उसने शिक्षा के लिये अपनी पेशकशों में प्राप्त जानकारियों को शामिल किया है, ताकि विद्यार्थी फाइनेंस की उत्साहपूर्ण एवं आपस में जुड़ी दुनिया के लिये तैयार रहें।