– हमारे दिमाग में प्रतिदिन आने वाले 60 हजार में से 95 प्रतिशत विचार नकारात्मक होते हैं: डॉ. शांडिल्य
-विश्व आत्महत्या निवारण दिवस पर हुई प्रतियोगिता आयोजित
भिवानी, 11 सितंबर। सिविल सर्जन डॉ. रघुबीर शांडिल्य ने कहा कि इंसान के अंदर प्रतिदिन करीब 60 हजार विचार आते हैं, जिनमें करीब 95 प्रतिशत नकारात्मक आते हैं। नकारात्मक विचारों से ही आत्महत्या जैसे विचार पनपते हैं। ऐसे में हमें अपने विचारों मेें सुधार करना होगा। यदि हमारे अंदर सकारात्मक विचार अधिक होंगे तो हीन भावना कम होगी। बचपन से ही बच्चों में सकारात्मक सोच विकसित करनी चाहिए। इसके लिए मेडिटेशन भी एक माध्यम है।
डॉ शांडिल्य विश्व आत्महत्या निवारण दिवस के अवसर पर टेक्नोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्सटाइल एंड साइंस संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मन यदि नकारात्मक सोचता है तो हमारी सोच ही नकारात्मक बनती जाएगी और यदि मन में सकारात्मकता रखेंगे तो हमारी सोच भी सकारात्मक बनती जाएगी। हमें अपने ऊपर बूरे विचारों को हावी नहीं होने देना चाहिए।
कार्यक्रम में चेंज दॉ नेरेटिव ऑन सुसाइड थीम पर पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सिविल सर्जन डॉ.रघुवीर शांडिल्य ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। डॉ. नंदिनी लांबा, मनोरोग विशेषज्ञ और उनकी डीएमएचपी टीम भी उपस्थित थी। प्रतियोगिता में अव्वल स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को सम्मान स्वरूप पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर कॉलेज के निदेशक प्रोफेसर डॉ जीके त्यागी ने सभी बच्चों को खुश रहने और हर परेशानी से डटकर लडऩे की सीख दी। कार्यक्रम का आयोजन डॉ निधि शर्मा, रेड रिबन क्लब की प्रभारी, टीआईटी नोडल बिंदू ने किया और कॉलेज के बच्चों द्वारा इस प्रसंग में डेवलप किये जाने वाली जीवन समर्थन मोबाइल एप्लिकेशन के बारे में जानकारी दी गई। यह एप्लिकेशन सेंसर का उपयोग करके व्यक्ति के श्वास दर की जांच करेगा और फिर एक वोकल एआई चैटबॉट सक्रिय हो कर बच्चे से बात करेगा और उसके तनाव को कम करने के लिए प्रेरक संगीत बजाएगा। साथ ही उसके परिवार के सदस्यों को सूचित करेगा और बच्चे के साथ बातचीत करने को अलार्म भेजेगा।
कार्यक्रम में छात्रों द्वारा इस संदर्भ में बनाए गए एनिमेशन भी प्रस्तुत किए गए। डॉ. ज्योति चौधरी, विभाग प्रमुख, टीआईटीएंडएस और डॉ. मोनिका शर्मा, एसो. प्रोफेसर, ने विद्यार्थियों को आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम न उठाने के लिए प्रेरित किया।