Front News Today/Rudra Prakash: बिहार चुनाव में मिलने और मिलाने का दौर शुरू हो चुका है, सभी पार्टियां अपने शतरंज की चाल को खेल रहे हैं तथा गोटिया सेट करने में जुटी हुई हैं, अभी हाल ही में खबर आई है कि तेजस्वी यादव और कन्हैया कुमार ने एक साथ चुनावी प्रचार करने करेंगे,और निशाने पर होंगे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बीजेपी अब देखने वाली बात ही आएगी बिहार के आम जनता के इनके प्रचार चुनाव का क्या असर पड़ता है,
वैसे कन्हैया कुमार की बात करें तो जेएनयू जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार तब चर्चा में आए जब हाल के दिनों में सीए और एनआरसी के विरोध में वे जन गण मन यात्रा निकाल रहे थे और अपने बोलने की अंदाज मैं चर्चा में आए, और अपने मुखर अंदाज से ध्यान खींचा, और अपने एक जाति विशेष में विशेष पैठ बना ली, तथा मुस्लिम समुदाय में अच्छी सहानुभूति भी पाई कुछ दिनों पूर्व कहा जाने लगा कि वह तेजस्वी यादव को टक्कर दे रहे हैं, वैसे देखें तो यह दोनों नेता युवा हैं, तथा कन्हैया कुमार एक अच्छा वक्ता है,और तेजस्वी यादव का राजनीतिक जनाधार है,
243 सीटों वाली बिहार विधान विधान सभा सीट में सीटों की लड़ाई अभी सुलझी नहीं है आरजेडी कांग्रेस और अन्य दल मिलकर एनडीए से मुकाबला होने वाला है, आरजेडी संबंधित दल सीटों को लेकर पेंच फंसा हुआ है कुछ दिन बाद या अभी साफ हो जाएगा कौन कितना सीट से चुनाव लड़ेगा वैसे बिहार में पूर्व की भांति जातिगत समीकरण पर सीटों का बंटवारा होता आया है कौन नेता अपने जाति का कितना वोट अपने पक्ष में करेगा उसको सीट मिलना तय है, तथा कितना प्रभाव छोड़ेगा आम जनमानस पर, पूर्व की भांति इस बार भी मुख्य मुद्दे चुनाव में गायब होने वाले हैं, बेरोजगारी बाढ़ की समस्या इस पर ध्यान नहीं जाता है ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपने के चक्कर में इन मुद्दों को भुला दिया जाता है तथा जातिगत समीकरणों में उलझा दिया जाता है वैसे बिहार विकास को देखे तो हुआ है लेकिन अभी भी बहुत काम बाकी है, और अन्य राज्यों की भांति बिहार का विकास का भी फिसड्डी है, रोजगार की समस्या इस कोरोना काल में अब बहुत गहरा गया है, बाहर से आए प्रवासी मजदूरों ने बेरोजगारी के दर को और बढ़ा दिया है, अब देखते हैं कि कौन सी पार्टी इस मुद्दे को प्रमुखता देती है। वैसे कन्हैया कुमार और तेजस्वी यादव के साथ आने से जातीय समीकरण पर असर पड़ेगा और इसका कार्ड विपक्षी पार्टियां भी करेंगी इन दोनों युवा नेताओं का मुख्य जोर मोदी और नीतीश कुमार पर रहेगा, हर बार की तरह इस बार भी उलुल जुलूल बयानबाजी भी शुरू हो जाएंगे सभी नेता अर्थी सभी नेता आरोप-प्रत्यारोप लगाना शुरु करेंगे, नेपाल की तरह इस बार की चुनावी प्रचार अलग होगा, तथा अधिक से अधिक वर्चुअल प्रचार होगा कोराना ने चुनाव प्रचार का माध्यम ही बदल दिया है। आने वाले समय में सब पता चल जाएगा कौन सी पार्टी का कितना पगार आभारी है,और कौन कितना वोट अपने पक्ष में कर रहा है। सभी पार्टियों का चुनावी अखाड़ा अब तैयार हो गया है और दांवपेच की लड़ाई शुरू हो रही है।