मुख्यमंत्री नायब सिंह ने कहा कि मां की शिक्षा और संस्कारों से जीवन का प्रत्येक सुख मिल सकता है

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और जीवन में सफलता हासिल करने के लिए मां के आदर्शों को जीवन में धारण करना जरुरी है। इन शिक्षाओं और संस्कारों के कारण ही विधायक संदीप सिंह ने पूरे विश्व में खेल के क्षेत्र में प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है। इसलिए समाज स्वर्गीय दलजीत कौर द्वारा दिए गए संस्कारों और शिक्षाओं को हमेशा याद रखेगा। इन संस्कारों और शिक्षाओं से समाज को भी प्रेरणा मिलेगी।

मुख्यमंत्री नायब सिंह वीरवार को शाहबाद बराड़ा रोड़ पर स्थित गुरुद्वारा मंजी साहब में स्वर्गीय दलजीत कौर के अंतिम अरदास कार्यक्रम में बोल रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह, हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता, हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय राज्यमंत्री सुभाष सुधा, राज्यसभा सांसद कृष्ण पंवार, विधायक घनश्याम दास अरोड़ा, पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती, विधायक रामकरण, भाजपा के प्रदेश नेता राहुल राणा, भाजपा जिलाध्यक्ष रवि बतान, चेयरमैन धर्मवीर मिर्जापुर, जिप चेयरमैन कंवलजीत कौर ने स्वर्गीय दलजीत कौर की अंतिम अरदास में सबसे पहले गुरु ग्रंथ साहिब के आगे शीश नवाया और स्वर्गीय दलजीत कौर के तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्घाजंली अर्पित की और पूर्व मंत्री एवं विधायक संदीप सिंह, समाज सेवी गुरचरण सिंह सहित परिवार के अन्य सदस्यों के साथ दु:ख साझा किया।

मुख्यमंत्री नायब सिंह ने स्वर्गीय दलजीत कौर की श्रद्घांजलि सभा में प्रदेश सरकार की तरफ से शोक व्यक्त करते हुए कहा कि वाहेगुरु स्वर्गीय दलजीत कौर को अपने चरणों में स्थान दे और परिवार को दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करे। स्वर्गीय दलजीत कौर ने परिवार को जो शिक्षा और संस्कार दिए है, उन संस्कारों की वजह से विधायक संदीप सिंह व लेफ्टिनेंट विक्रमजीत सिंह ने पूरी दुनिया में हॉकी के क्षेत्र में प्रदेश और देश का नाम रोशन किया है। माता स्वर्गीय दलजीत कौर की तपस्या और संस्कारों से ही बेटे संदीप सिंह ने पूरे विश्व में हॉकी खेल के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए है और दूसरे बेटे विक्रमजीत सिंह ने समाज सेवा में अग्रणी होकर कार्य किया है। इस परिवार का एक-एक सदस्य गुरु की बाणी से जुड़ा हुआ है। इस परिवार ने सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है। इन कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। स्वर्गीय दलजीत कौर जब धार्मिक यात्रा पर थी, तब वाहेगुरु जी ने उन्हें अपने चरणों में बुला लिया। इस दु:ख की घड़ी में प्रदेश सरकार परिजनों के साथ खड़ी है और परम पिता परमात्मा से अरदास करती है कि परिवार को दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने स्वर्गीय दलजीत कौर के लिए अंतिम अरदास में अपना दु:ख व्यक्त करते हुए कहा कि स्वर्गीय दलजीत कौर का जीवन एक पवित्र आत्मा की तरह है, उन्होंने धर्म, समाज और परिवार को अच्छे संस्कार और शिक्षा देने का काम किया। ऐसे महान शख्सीयत के जाने पर परिवार और समाज को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। मां का प्यार हमेशा साथ रहता है, मां ठंडी छांव की तरह होती है, जिस परिवार पर मां का आर्शीवाद होता है, वह परिवार खुशहाल होता है। उन्होंने कहा कि माता-पिता सबसे बड़े देवी-देवता है। माता-पिता की सेवा के बिना सभी तीर्थों के दर्शन भी व्यर्थ है। विधायक संदीप सिंह और उनका परिवार एक धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है। इस परिवार ने पूरे क्षेत्र में अपना मान-सम्मान बनाया है। उन्होंने विधानसभा के पक्ष और विपक्ष के सभी विधायकों की तरफ से श्रद्घाजंलि अर्पित करते हुए कहा कि वाहे गुरु स्वर्गीय दलजीत कौर को अपने चरणों में स्थान दे और परिवार को इस सदमे को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

हरियाणा के शहरी स्थानीय निकाय राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने स्वर्गीय दलजीत कौर को श्रद्घाजंलि अर्पित करते हुए कहा कि वाहेगुरु जी ने स्वर्गीय दलजीत कौर को एक धार्मिक यात्रा के दौरान अपने चरणों में बुला लिया, लेकिन यह विधि का विधान भी है जो इस संसार में आया, उसको एक दिन जाना पड़ता है। स्वर्गीय दलजीत कौर ने देश को विधायक संदीप सिंह और लेफ्टीनेंट विक्रमजीत सिंह जैसे दो पुत्र दिए। इन पुत्रों ने मां से मिली शिक्षा और संस्कारों से देश का नाम रोशन करने का काम किया। मां स्वर्गीय दलजीत कौर के समाज सेवा के लिए किए गए कार्यों को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके आर्शीवाद से विधायक संदीप सिंह और समाज सेवी विक्रमजीत सिंह दिन-रात सेवाभाव से कार्य कर रहे है। वाहे गुरु स्वर्गीय दलजीत कौर को अपने चरणों में स्थान दे और परिवार को दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

हरियाणा के पूर्व मंत्री एवं पिहोवा विधायक संदीप सिंह ने अंतिम अरदास में पहुंचने वाले महानुभावों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बच्चों के दर्द को केवल मां ही समझ सकती है और मां के दर्द को बच्चे समझ सकते है। उनकी माता स्वर्गीय दलजीत कौर ने उन्हें और उनके बड़े भाई विक्रमजीत सिंह का विकट परिस्थितियों में पालन पोषण किया और जब किराए के घर में रहते थे और केवल 2-2 घंटे ही लाइट होती थी, उनकी मां पंखा झोलकर उन्हें सुलाती थी और हॉकी का अभ्यास करने के बाद जब थक कर सो जाते थे, तो रात को उठाकर उन्हें खाना खिलाती थी। उनकी मां का सपना था कि संदीप सिंह और विक्रमजीत सिंह एक साथ भारतीय टीम में खेले। लेकिन उनकी मां का यह सपना पूरा नहीं हो पाया। हालांकि दोनों भाई अलग-अलग समय में ही टीम में खेले है। उनकी मां ने जो शिक्षा और संस्कार दिए, आज उन्हीं का अनुसरण कर रहे है और अपना सारा समय समाज सेवा में लगा रहे है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 में जब उन्हें गोली लगी तो, उनकी मां ने वाहेगुरु से अरदास की तो उन्हें फिर से नया जीवन मिला और हॉकी खेल में एक मुकाम हासिल किया।

उन्होंने समाज को संदेश देते हुए कहा कि मां और बाप से बड़ा दुनिया में कुछ नहीं है। इस जीवन में जमीन, जायदाद और ओहदे तो वापिस मिल जाते है, लेकिन मां-बाप जाने के बाद कभी नहीं मिलते है। इस अंतिम अरदास में महंत बंसीपुरी, बीबी रविंद्र कौर, कंवलजीत सिंह अजराना, मुख्यमंत्री के पूर्व राजनीति सलाहकार जगदीश चौपड़ा, नपा पिहोवा के चेयरमैन आशीष चक्रपाणी, समाज सेवी विक्रम चक्रपाणी, राजेंद्र बाखली, डा. ऋषिपाल मथाना, अक्षय नंदा, गुरप्रीत कांबोज, एडवोकेट मोहित शर्मा, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजकुमार सैनी, पिछड़ा वर्ग के प्रदेश स्तरीय नेता राम कुमार रम्बा, नवाब सिंह, तेजेंद्र पाल सिंह शाहपोश, सरपंच गुरमेहर सिंह विर्क, राजीव कश्यप, सहदेव मदान, जसंविंद्र सैनी, विनित बजाज, शिवचरण बहल, मनीष पुरी, रामकृष्ण दुआ, राकेश पुरोहित सहित धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।

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