फरीदाबाद। अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त ओडिसी नृत्यांगना कविता द्विवेदी ने सेक्टर 33 स्थित विद्युत मंत्रालय के राष्ट्रीय विद्युत प्रशिक्षण संस्थान (एनपीटीआई) में अपने पारंपरिक और अभिनव शैली से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। “एक शाम-भारतीय संस्कृति के नाम” सांस्कृतिक प्रस्तुति सभागार में आयोजित की गई। जिसमें एनपीटीआई के महानिदेशक हेमंत जैन के दिशा निर्देश पर चल रहे नीपको और एनएचपीसी फाउंडेशन बैच के एक्जिक्यूट ट्रेनी सहित एमबीए और पीजीडीसी के सभी विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। सांस्कृतिक शाम कार्यक्रम डॉ. इंदु महेश्वरी प्रधान निदेशक (ट्रेनिंग), डॉ वत्सला शर्मा निदेशक (ट्रेनिंग) की देखरेख में आयोजित हुआ, जिसमें डिप्टी डायरेक्टर महेन्द्र सिंह, डिप्टी डायरेक्टर राहुल पांडे और असिस्टेंट डायरेक्टर अनुराग राय सहित अन्य सहयोगी उपस्थित रहे।
कविता द्विवेदी ने अपने ओडिसी प्रदर्शन के माध्यम से न सिर्फ नृत्य की कलात्मकता दिखाई, बल्कि इसे एक श्रद्धा-भाव के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि ओडिसी – जो कि ओडिशा का पारंपरिक शास्त्रीय नृत्य है – देवदासियों द्वारा भगवान जगन्नाथ को प्रसन्न करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सदियों से प्रस्तुत किया जाता रहा है। कविता ने जोर देकर कहा कि उनके लिए यह नृत्य मात्र प्रदर्शन नहीं, बल्कि पूजा है। ओडिशी नृत्य की पहचान पुष्पचूड़ा और कमर में बांधी जाने वाली बेल्ट से होती है।
प्रख्यात ओडिसी वादक गुरु हरेकृष्ण बेहरा की पुत्री और शिष्या कविता द्विवेदी को वर्ष 2013 का ओडिशा राज्य संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ है। उन्हें महारी पुरस्कार, संयुक्ता पाणिग्रही पुरस्कार और महिला शिरिमणि पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है। ओडिसी अकादमी की निदेशक और “संचारी फाउंडेशन“ की संस्थापक ट्रस्टी, सुश्री द्विवेदी को आज भारत की सर्वश्रेष्ठ ओडिसी कलाकारों में से एक माना जाता है। वह स्पिक मैके के लिए विश्व स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन करती रही हैं। अपने पैंतीस साल के करियर में अब तक उन्होंने 42 से ज़्यादा देशों में परफॉर्म किया है।



