उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा घटते भूजल स्तर को देखते हुए धान की सीधी बिजाई करने वाले किसानों को प्रति एकड़ 4 हजार रूपये की दर से प्रोत्साहन राशि दी जा रही है, इसी योजना का लाभ उन किसानों को दिया जा रहा है जिन किसानों द्वारा धान की सीधी बिजाई की हुई है एवं मेरी फसल मेरा ब्यौरा के माध्यम से इस योजना के प्रार्थी हैं। इस योजना के तहत सत्यापन प्रार्थी किसान के खेत में जा कर किया जा रहा है एवं सत्यापन के उपरांत प्रोत्साहन राशि सीधे उनके खाते में डाल दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि मंगलवार को उन्होंने गांव तलहेडी, अरुणाय, मोरथली, बाखली, कराह साहब, दीवाना इत्यादि गांव में जा कर धान की सीधी बिजाई के क्षेत्र का निरीक्षण एवं सत्यापन किया। धान की फसल को पानी की अत्यधिक आवश्यकता पड़ती है जिसकी पूर्ति के लिए किसान को भूजल पर निर्भर रहना पड़ता है परन्तु घटते भूजल को देखते हुए एवं भविष्य में संभावित भूजल संकट के संदर्भ में धान की सीधी बिजाई एक विकल्प से रूप में उभर सकता है। धान की सीधी बिजाई करने से जल बचाने के साथ साथ पर्यावरण एवं भूमि का संरक्षण भी संभव है। इस विधि से धान बिजाई करने पर भूमि की संरचना में सुधार होने से वर्षा का जल भूगर्भ तक पहुंच सकता है जोकि पारम्परिक तरीके से लगाई धान से संभव नहीं है। धान की सीधी बिजाई अपनाने से मजदूरों की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।
उन्होंने कहा कि सरकार भी किसानों को इस विधि को अपनाने का आह्वान कर रही है एवं आने वाले समय में संभावित जल संकट को टालने हेतु कृतसंकल्प है। अनेकों किसान सरकार के इस प्रयास से जुड़े हुए है एवं इस विधि को अपनाकर जल को बचाने में सामाजिक सहयोग तो कर ही रहे हैं साथ ही साथ आर्थिक रूप से भी बेहतर आमदनी ले कर लाभ कमा रहें है व साथ में सरकार द्वारा 4000 रुपये की प्रोत्साहन राशि का लाभ कमा रहे हैं। इस अवसर पर डा. प्रदीप कुमार, खंड कृषि अधिकारी, डा. संदीप कुमार, कृषि विकास अधिकारी, बोधनी, धर्मवीर व आरती, सहायक तकनीकी प्रबंधक, पिहोवा एवं खंड के अन्य सभी सुपरवाइजर उपस्थित थे।