
फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद शहर में एकमात्र ऐसा अस्पताल है जहां उपलब्ध है अत्याधुनिक इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा
फरीदाबाद, 24 फरवरी, 2025: फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटील फरीदाबाद में 45-वर्षीय ऐसे मरीज का सफल उपचार किया गया है जो इस्केमिक स्ट्रोक से पीड़ित थे। इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है जबकि ब्रेन को रक्त सप्लाई करने वाली वाहिका रक्त का थक्का जमने की वजह से अवरुद्ध हो जाती है। डॉ विनीत बांगा, डायरेक्टर, न्यूरोलॉजी एंड हेड न्यूरो इंटरवेंशन, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद ने एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया – मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी (यह इस्केमिक स्ट्रोक के बाद, ब्रेन से रक्त के थक्कों को निकालने की मिनीमली इन्वेसिव प्रक्रिया है) की मदद से मरीज का सफल उपचार किया। यह सर्जरी लगभग आधा घंटा चली और एक सप्ताह बाद, मरीज को स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
मरीज को शरीर और चेहरे के दाएं भाग में कमजोरी महसूस होने तथा बोलने में असमर्थता महसूस करने के बाद फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था। अस्पताल में तत्काल मरीज का सीटी स्कैन, सीटी एंजियोग्राफी और सीटी परफ्यूज़न किया गया ताकि उनके ब्रेन को हुए नुकसान तथा ब्रेन को रक्त सप्लाई करने वाली अवरुद्ध वाहिकाओं का मूल्यांकन हो सके। इन जांचों से पता चला कि उनके ब्रेन को रक्त सप्लाई करने वाली प्रमुख वाहिका में अवरोध थे और साथ ही, उनके ब्रेन के कई हिस्सों को नुकसान की संभावना भी थी।
इस जांच के बाद, तत्काल ब्रेन सर्जरी करने का फैसला लिया गया ताकि मरीज के ब्रेन को और नुकसान से बचाया जा सके। सर्जरी में देरी से मरीज जीवनभर बिस्तर तक सिमटकर रह जाते। इस सर्जरी के बाद, मरीज की सही ढंग से रिकवरी होने लगी और उनकी कंडीशन में भी धीरे-धीरे सुधार हुआ है।
इस मामले की और जानकारी देते हुए, डॉ विनीत बांगा, डायरेक्टर, न्यूरोलॉजी एंड हेड न्यूरो इंटरवेंशन, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स फरीदाबाद ने बताया, “हमने थ्रोम्बेक्टोमी प्रक्रिया की मदद से मरीज का उपचार किया। इसमें एक छोटी सुई को मरीज के पैर में डाला गया। इस सुई में महीन ट्यूब्स (वायर, पाइप और कैथेटर) को पिरोया गया था जो रक्त वाहिकाओं में फंसे रक्त के थक्कों को सोखने के लिए थीं। यह प्रक्रिया काफी जटिल किस्म की थी, और इसे दक्षता के साथ अनुभवी हाथों से अंजाम देना जरूरी था क्योंकि मामूली चूक से भी ब्रेन में हेमरेज का खतरा था जो जीवनघाती साबित हो सकता था। सर्जरी में देरी होने पर भी मरीज के आईसीयू में वेंटिलेटर पर निर्भरता और बिस्तर तक सिमटकर रह जाने का खतरा था।”
डॉ बांगा ने कहा, “इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी ने स्ट्रोक के इलाज में क्रांति कर दी है, खासतौर से इस्केमिक स्ट्रोक के मामलों में तो यह बेहद लाभदायक है क्योंकि ऐसे में हर मिनट महत्वपूर्ण होता है। मैकेनिकल थ्रोम्बेक्टोमी से हमें ब्रेन को रक्त प्रवाह रोके बगैरह ही रक्त के थक्के हटाने में मदद मिली, और इसके परिणामस्वरूप ब्रेन को नुकसान होने से बचाव हो सका। इस मामले में, समय पर हस्तक्षेप करने से न सिर्फ मरीज की मोबिलिटी (चलने-फिरने की क्षमता) और स्पीच (बोलने की क्षमता) को लौटाया जा सका बल्कि उन्हें आजीवन विकलांग होने से भी बचा लिया गया। ऐसी एडवांस प्रक्रियाओं से स्ट्रोक मरीजों का जीवन बचाने की संभावना में काफी सुधार होता है और उनकी जीवन गुणवत्ता भी बेहतर बनती है।”
योगेंद्र नाथ अवधिया, फेसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल फरीदाबाद ने कहा, “इस मामले में मरीज के जीवन को बचाने के लिए काफी जटिल और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया का सहारा लिया गया। लेकिन डॉ विनीत बांगा के नेतृत्व में अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने इस पूरे मामले में काफी कुशलता और सावधानी के साथ मरीज की पूरी देखभाल पर जोर देते हुए सर्जरी की। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पीटल फरीदाबाद इस शहर में इकलौता ऐसा अस्पताल है जहां इन-हाउस इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी की सुविधा उपलब्ध है जो स्ट्रोक, एन्यूरिज़्म तथा न्यूरोवास्क्युलर इमरजेंसी के उपचार के लिए एक्सपर्ट और राउंड द क्लॉक केयर की सटीक सुविधाएं प्रदान करने में सक्षम है।”