– विदेशी उत्पादों पर निर्भरता घटाने से सशक्त होगी देश की अर्थव्यवस्था
– सेक्टर-12 एचएसवीपी ग्राउंड में स्वदेशी मेले के तहत हुआ व्यापारी मिलन कार्यक्रम
फरीदाबाद, 24 दिसंबर।
सेक्टर-12 एचएसवीपी ग्राउंड में आयोजित स्वदेशी उत्सव एवं सरस आजीविका मेला के अंतर्गत आज व्यापारी मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की।
राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल ने देशवासियों से स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि स्वदेशी ही भारत को वास्तविक अर्थों में आत्मनिर्भर बना सकता है। उन्होंने कहा कि जब तक देश विदेशी वस्तुओं पर निर्भर रहेगा, तब तक आर्थिक मजबूती संभव नहीं है। विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम कर और भारतीय वस्तुओं का अधिकाधिक उपयोग करके ही देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया जा सकता है।
श्री कश्मीरी लाल ने अपने संबोधन में कहा कि स्वदेशी विचार केवल एक नारा नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का सशक्त माध्यम है। यदि देशवासी स्वदेशी उद्योगों और उत्पादों को प्राथमिकता दें, तो न केवल घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार के नए अवसर भी प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि इसी मार्ग पर चलकर भारत पुनः “सोने की चिड़िया” बन सकता है। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं से आह्वान किया कि वे केवल नौकरी मांगने वाले न बनें, बल्कि नौकरी देने वाले बनें। युवाओं को उद्यमिता की दिशा में आगे आकर छोटे, कुटीर और लघु उद्योगों को स्थापित करना चाहिए। स्वदेशी उद्योगों के विकास से स्थानीय संसाधनों का सही उपयोग होगा और ग्रामीण व शहरी दोनों क्षेत्रों में आर्थिक समृद्धि आएगी।
कार्यक्रम के दौरान श्री कश्मीरी लाल ने कहा कि सरस मेला जैसे आयोजन स्वदेशी उत्पादों को आम जनता तक पहुंचाने का प्रभावी माध्यम हैं। ऐसे मंचों से देश के कारीगरों, शिल्पकारों और उद्यमियों को पहचान मिलती है तथा उपभोक्ताओं में भारतीय उत्पादों के प्रति विश्वास बढ़ता है। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की कि वे दैनिक जीवन में विदेशी वस्तुओं के स्थान पर भारतीय उत्पादों का उपयोग करें और स्वदेशी आंदोलन को जन-आंदोलन बनाकर आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करें।
स्वदेशी भाव जागरण एवं राष्ट्र निर्माण विषय के सदस्य कृष्ण सिंघल ने संबोधित करते हुए वीर बाल सप्ताह के अवसर पर श्री गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादों के बलिदान को स्मरण करते हुए स्वदेशी को एक महान धर्म बताया। उन्होंने कहा कि स्वदेशी केवल वस्तुओं तक सीमित नहीं, बल्कि भाषा, संस्कृति, पहनावे, खान-पान, पर्यटन और जीवनशैली से जुड़ा व्यापक भाव है।
श्री कृष्ण सिंघल ने कहा कि स्वदेशी आंदोलन ने अंग्रेजी शासन की नींव हिलाई थी और आज भारत आत्मनिर्भरता के मार्ग पर चलते हुए वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है। उन्होंने चंद्रयान मिशन, स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन, सुपर कंप्यूटर और बढ़ती जीडीपी का उल्लेख करते हुए नागरिक कर्तव्यों, पर्यावरण संरक्षण, पारिवारिक संस्कार व सामाजिक समरसता पर जोर दिया। उन्होंने स्वदेशी उत्पाद अपनाने, स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देने और देश में पर्यटन को प्राथमिकता देने का आह्वान करते हुए कहा कि “तन, मन और जीवन स्वदेशी” ही राष्ट्र को सशक्त व आत्मनिर्भर बना सकता है।
स्वदेशी जागरण मंच के उत्तर क्षेत्र सह-संयोजक सतेंद्र कुमार सौरोत ने कहा कि जिला प्रशासन के सहयोग से आयोजित स्वदेशी मेले में देशभर से आए हथकरघा एवं कुटीर उद्योग से जुड़े कारीगरों ने अपने उत्पादों का प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि यह मेला “वोकल फॉर लोकल” की भावना को सशक्त करता है और गांवों से आए कारीगरों के हुनर के माध्यम से असली भारत को प्रस्तुत करता है। उन्होंने बताया कि वैश्विक व्यापार प्रतिस्पर्धा के दौर में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी को अपनाना आवश्यक है। स्वदेशी जागरण मंच के स्वदेशी स्वावलंबन अभियान के माध्यम से युवाओं को नौकरी मांगने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
श्री सौरोत ने कहा कि भारत की युवा शक्ति देश का सबसे बड़ा ग्रोथ इंजन है और यदि युवाओं को सही दिशा, संस्कार और स्वदेशी भाव मिले, तो वे अपने उद्यमों के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। उन्होंने आमजन से स्वदेशी उत्पाद अपनाकर देश की समृद्धि में योगदान देने का आह्वान किया।
इस अवसर पर स्वदेशी जागरण मंच के प्रांत संगठक कुलदीप पंवार, मेला प्रमुख राहुल डागर, पंकज हंस, माधवी हंस, सिकंदर सैनी, मनोज जेटली, राजेंदर शर्मा सहित अन्य कई गणमान्य व्यक्तिगण मौजूद रहे।



