– कार्यशाला में पीठासीन, सहायक पीठासीन और सेक्टर अधिकारियों दी चुनाव प्रक्रिया से संबंधित जरूरी जानकारी
भिवानी, 12 सितंबर। डीसी एवं जिला निर्वाचन अधिकारी महावीर कौशिक ने कहा कि चुनाव के दौरान मतदान प्रक्रिया में पीठासीन और सहायक पीठासीन अधिकारियों की अहम भूमिका होती है। सभी अपनी ड्यूटी पूरी गंभीरता के साथ निभाएं। इसके लिए चुनाव प्रक्रिया के लिए कार्यशाला में प्रत्येक जानकारी को अच्छी तरह समझना जरूरी है। इसी के चलते भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है।
कार्यशाला में पीठासीन व सहायक पीठासीन अधिकारियों को मतदान केंद्र की कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट वीवीपैट यूनिट की जांच, मॉक पोल, मतदान सामग्री प्राप्त करना, मिलान करना व मतदान सामग्री की जांच करने की विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। कर्मियों को सामग्री प्राप्त करने में बरतने वाली सावधानियां, बूथ पर बैठने की व्यवस्था, मतदान की प्रक्रिया, सील करने की प्रक्रिया, सभी तरह के मतदान में प्रयुक्त, अनप्रयुक्त पेपर सील करने का तरीका, पीओ के कार्य दायित्व के बारे में समग्रता से बताया गया। प्रशिक्षण के दौरान चुनाव में अपनाए जाने वाले सभी तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी गई। अधिकारियों को बताया कि मतदान के दौरान प्रयोग होने वाली ईवीएम में किसी भी प्रकार की खराबी होती है, तो इसकी सूचना तुरंत एआरओ के साथ सांझा करें तथा मतदान पूरा होने के बाद ईवीएम का क्लोज बटन अवश्य दबाएं। चुनाव से संबंधित सभी प्रकार के प्रोफार्मा को ध्यानपूर्वक भरकर एआरओ के पास जमा करवाना सुनिश्चित करें।
कार्यशाला में तहसील कल्याण अधिकारी अश्वनी शर्मा व रमन शांडिल्य ने प्रोजेक्टर के माध्यम से चुनाव प्रक्रिया के सभी पहलुओं पर प्रकाश डालते हुुए कहा कि पांच अक्टूबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए एक दिन पूर्व यानि चार अक्टूबर को सभी पीठासीन अधिकारी अपने-अपने बूथ पर पहुंचकर वहां की व्यवस्थाओं का निरीक्षण करेंगे। बूथ पर किसी भी प्रकार की कमी पाए जाने पर इसकी सूचना सम्बंधित एआरओ को देंगे। उन्होंने कहा कि पांच अक्टूबर को चुनाव शुरू होने से पहले निर्धारित समय पर पोलिंग एजेंट के समक्ष मॉक पोल करवाना सुनिश्चित करना है। मॉक पोल के दौरान किए गए वोट और वीवीपैट से निकलने वाली पर्चियों व कंट्रोल यूनिट में कुल वोट के मिलान होने पर, पोलिंग एजेंट के हस्ताक्षर अवश्य करवाएं तथा मॉक पोल उपरांत इसका रिकॉर्ड रखना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि मतदान की गोपनीयता का विशेष ध्यान रखें। प्रत्येक दो घंटे के अंतराल पर कुल वोट जांचे जाएं और उसकी सूचना अपने सेक्टर प्रभारी अधिकारी को दें, ताकि यह सूचना एआरओ तक पहुंच सके। वोटिंग का समय समाप्त होने से पहले मतदान केन्द्र में उपस्थित सभी मतदाताओं का वोट डलवाना सुनिश्चित करें। इस दौरान चुनाव प्रशिक्षण से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।