प्रिंटिंग प्रेस संचालक बिना प्रशासनिक अनुमति के न छापे प्रचार सामग्री : खर्च पर्यवेक्षक विजय सिंह

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सिरसा, 08 सितंबर। खर्च पर्यवेक्षक विजय सिंह ने जिला के सभी प्रिंटिंग प्रेस संचालकों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रशासनिक अनुमति के बिना कोई प्रचार सामग्री न छापें। चुनावी प्रचार सामग्री पर प्रकाशक का नाम व पता अंकित होना जरूरी है, ऐसा नहीं करने पर छह महीने की सजा हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश दिए कि चुनावी प्रचार सामग्री में जाति, धर्म, समुदाय विशेष या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भडक़ाने वाली भाषा का प्रयोग नहीं होना चाहिए।

खर्च पर्यवेक्षक ने बताया कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रचार सामग्री की छपाई को लेकर कुछ जरूरी निर्देश दिए हुए हैं। उन्होंने बताया कि अपने चुनाव प्रचार के दौरान सभी राजनीतिक दल व चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार या उनके समर्थक प्रचार के रूप में पोस्टर, पैम्पलेट, हैंड बिल-बैनर इत्यादि छपवाते हैं। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार कोई भी प्रिंटर या प्रिंटिंग प्रेस का मालिक किसी भी प्रकार की गैर कानूनी सामग्री छाप कर नहीं दे सकता है।

खर्च पर्यवेक्षक ने बताया कि प्रचार सामग्री छपाई दस्तावेज पर किसी धर्म, जाति, समाज, भाषा विशेष या चरित्र हनन का प्रकाशन गैर कानूनी होगा। दोषी पाए जाने पर प्रकाशन व छपवाई करवाने वाले के विरुद्ध जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 क के अनुसार छह माह की कैद या दो हजार रुपये जुर्माना अथवा दोनो का प्रावधान है। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश देते हुए कहा है कि इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति कोई ऐसी निर्वाचन पुस्तिका के पोस्टर, जिसके मुख्य पृष्ठ पर उसके मुद्रक और प्रकाशक का नाम व पता नहीं है तो वह मुद्रित या प्रकाशित नहीं करेगा।

खर्च पर्यवेक्षक ने प्रिंटिंग प्रैस, प्रिंटर को निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी प्रकार की गैर कानूनी सामग्री की छपाई न करें। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार ही प्रचार सामग्री की छपाई करें अन्यथा उनके खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। आदर्श चुनाव आचार संहिता की पालना करते हुए जिला में विधानसभा चुनाव को पारदर्शी, निष्पक्ष व शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न करवाने में जिला प्रशासन का सहयोग करें।

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