प्राकृतिक खेती से समाज के लिए प्रेरणा बनें सेवानिवृत्त अधिकारी

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पालमपुर, अमर सिंह पठानिया, हिमाचल सरकार की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना से प्रभावित होकर प्राकृतिक खेती को अपनाकर समाज के लिए प्रेरणा बन गये।

उपमण्डल पालमपुर के बारी ( गुजरेहड़ा ) गांव के अमर सिंह पठानिया ने इंश्योरेंस कंपनी से अधिकारी पद से सेवानिवृति के पश्चात गांव लौटकर खेतीबाड़ी आरंभ की। उन्होंने रसायनिक खेती को छोड़कर सरकार की प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना में 6 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त कर प्राकृतिक खेती को अपनाया।

अमर सिंह बताते हैं कि सेवानिवृति के पश्चात, उन्होंने अपनी 15 कनाल कृषि योग्य भूमि से 8 कनाल भूमि पर प्राकृतिक खेती आरंभ की। अपनी जमीन पर गेंहू, मक्की, मटर, चना, बैंगन, आलू और मौसमी सब्जियों की खेतीबाड़ी आरंभ की है। पहले जहां रसायनिक खेती से व्यय 15 हजार रुपये आता है और आमदन 30 हजार आती थी वहीं प्राकृतिक खेती से व्यय 8 हजार और आमदन 50 हजार के करीब आ रही है। अमर सिंह बताते है कि प्राकृतिक खेती के उत्पाद रसायनों और कीटनाशकों के उपयोग के बिना स्वास्थ्य बर्धक और अधिक पोषक होते हैं। प्राकृतिक खेती में अदभुत उत्पादक क्षमता के कारण इसके उत्पाद साईज में बड़े होते हैं और इनकी भंडारण एवं उपयोग की अवधि भी अधिक होती है।

अमर सिंह पठानिया, कृषि विभाग की आतमा परियोजना के माध्यम से प्राकृतिक खेती के बारे में संपूर्ण जानकारी एवं प्रशिक्षण हासिल प्राप्त करने से प्राकृतिक खेती की विधि और प्राकृतिक खेती के लिये बनाये जाने वाले उत्पादों एवं इनके प्रयोग की अच्छी समझ रखते हैं। अमर सिंह जहां किसानों तथा बागवानों की प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण देते हैं वहीं युवाओं को प्राकृतिक खेती का स्वरोजगार के लिये प्रेरित भी करते हैं।

बदलते परिवेश और पोषण युक्त भोजन की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए हिमाचल सरकार ने प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की शुरुआत की है। इस योजना के अधीन अपनाई जा रही ‘‘सुभाष पालेकर कृषि’’ को किसान व बागवानों का व्यापक समर्थन मिल रहा है। धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध कांगड़ा जिला में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के कार्यान्वयन में अग्रणी स्थान प्राप्त किए हुए हैं।

जिला की 4292 हेक्टेयर भूमि पर 42,322 किसान प्राकृतिक खेती अपनाकर फल-फूल अनाज और सब्जियों की सफलता पूर्वक खेती कर रहे हैं।

कृषि क्षेत्र में जिला के किसानों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड हासिल कर अपनी सफलता का लोहा बनवाया है। जिला के 16 विकास खंडों में बंटे इस जिला में एग्जाॅटिक वेजिटेबल्स के उत्पादन की और किसानों का रुझान बढ़ा है। रसायनों को हतोत्साहित कर कम लागत से होने वाली प्राकृतिक खेती को यहां के किसान बड़े उत्साह से अपना कर सुरक्षित भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों के प्रमाणन के लिए प्रदेश सरकार द्वारा एक अनूठी स्व प्रमाणीकरण प्रणाली तैयार की गई है जिसके तहत जिला भर के 13000 से अधिक किसानों को प्रमाण पत्र जारी किए जा चुके हैं। विकासखंड भेडू महादेव में कुल 10759 किसानों में से 2625 किसान 290.69 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती अपना कर आजीविका को सुदृढ़ कर रहे हैं।

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