ग्रामीण भारत महोत्सव: ‘हार्वेस्ट: रिदम्स ऑफ द अर्थ’ ने पहले दिन छेड़ी परंपरा और कला की सुरमयी गूंज

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• वेदों के मंत्रोच्चारों, राजस्थान की मंगनियार धुनों, और शास्त्रीय नृत्य जैसे कुचिपुडी और कत्थक के सम्मोहक प्रदर्शन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत

• सांस्कृतिक उत्सव में विविध प्रस्तुतियों, प्रदर्शनों और संवादात्मक अनुभवों के जीवंत संयोजन के साथ ग्रामीण समुदायों की कर्मठता और रचनात्मकता उजागर हुई

नई दिल्ली, 5 जनवरी, 2025: ग्रामीण भारत महोत्सव, जो ग्रामीण भारत की उद्यमशीलता और सांस्कृतिक विरासत का भव्य उत्सव है, आज भारत मंडपम, नई दिल्ली में शुरू हुआ।

यह महोत्सव नाबार्ड द्वारा वित्तीय सेवाएं विभाग के अंतर्गत आयोजित किया गया है। इस महोत्सव के अंतर्गत एक पांच दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव – “हार्वेस्ट: रिदम्स ऑफ द अर्थ” आयोजित किया गया है, जिसे सहर के संजीव भार्गव ने परिकल्पित किया है। इस उत्सव का थीम है “ग्रामीण भारत को आगे बढ़ाना।” यह उत्सव पूरे भारत की विविध लोककथाओं, कला और संगीत परंपराओं को प्रदर्शित करता है, जो देश के दिल की पहचान हैं।

हार्वेस्ट के पहले दिन का आगाज मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुतियों से हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत वाराणसी के पाणिनि कन्या महाविद्यालय की टीम द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार की शांतिपूर्ण ध्वनियों के साथ हुई। इसके बाद राजस्थान के मंजूर खान मंगनियार और उनके समूह ने मंगनियार परंपरा की मधुर और गहरी धुनों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सांस्कृतिक संध्या को और खास बनाते हुए, आंध्र प्रदेश के अयाना मुखर्जी और उनके समूह ने कुचिपुड़ी नृत्य की अद्भुत प्रस्तुति दी, जबकि मध्य भारत के गौरी दिवाकर और उनके समूह ने कत्थक की जीवंत लय-ताल से दर्शकों का दिल जीत लिया।

सहर के संस्थापक निदेशक संजीव भार्गव ने कहा, “हार्वेस्ट के माध्यम से हमने एक ऐसा मंच तैयार किया है, जो ग्रामीण भारत की आत्मा को सजीव रूप में प्रस्तुत करता है। इस मंच पर हर प्रस्तुति एक कहानी कहती है, जो परंपराओं से जुड़ी होने के बावजूद समय के साथ नयी ऊँचाइयों तक पहुँचती है। यह उत्सव हमारे ग्रामीण समुदायों की मेहनत, जीवटता और रचनात्मकता को दर्शाने का माध्यम है। यह सिर्फ हमारी सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि हमारी यह धरोहर आज भी कितनी प्रासंगिक और प्रेरणादायक है।”

महोत्सव के अगले कुछ दिनों में दर्शकों के लिए कई अद्भुत कार्यक्रम, सांस्कृतिक प्रदर्शनी और संवादात्मक अनुभव होंगे, जो ग्रामीण भारत की जीवंतता और समृद्ध संस्कृति को सामने लाएँगे।

हार्वेस्ट: रिद्म्स ऑफ द अर्थ भारत की विविध और समृद्ध धरोहर का जश्न मनाते हुए इसे नई पीढ़ी के सामने पूरी गरिमा और प्रभाव के साथ प्रस्तुत करेगा।

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