सरकाघाट, 12 नवंबर – आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में जागरूकता और तैयारियों को बढ़ावा देने के लिए जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, मण्डी द्वारा उपमंडल सरकाघाट के एसडीएम कार्यालय में तीन दिवसीय आपदा प्रबंधन और प्रतिक्रिया कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 12 से 14 नवंबर तक चलेगा, जिसमें विभिन्न पंचायतों से आए लगभग 60 युवा स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
इस प्रशिक्षण कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने और आपदा के समय त्वरित प्रतिक्रिया में लोगों की भूमिका को मजबूत करना है। इस कार्यक्रम में ग्राम पंचायत गोपालपुर, ढलवान, चौक और गाहर से आए हुए युवा स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, जिन्हें आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी दी जा रही है।
कार्यशाला का महत्व और उद्देश्य
इस अवसर पर एसडीएम सरकाघाट, स्वाति डोगरा ने बताया कि यह पहल जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सहयोग से की गई है और इसका उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, आगजनी आदि से होने वाले नुकसान को कम करना है। उन्होंने कहा कि समुदाय को जागरूक और प्रशिक्षित करके ही प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम लोगों को आपदा के समय सही प्रतिक्रिया देने और आवश्यक तैयारियों के बारे में शिक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रशिक्षण में शामिल विषय
जिला आपदा प्राधिकरण मण्डी से आए जिला सर्व समन्वयक, अमरजीत सिंह ने कार्यशाला में उपस्थित स्वयंसेवकों को आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने जलभराव, भूस्खलन और आगजनी जैसी आपदाओं के समय बरती जाने वाली सावधानियों पर चर्चा की। साथ ही, उन्होंने आपदाओं के दौरान स्वच्छता, नदी-नालों के पास की सुरक्षा और घर के आस-पास सफाई बनाए रखने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने स्वयंसेवकों को आपदा के समय त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित किया और बताया कि किसी भी अप्रिय घटना के समय उपमंडलाधिकारी और जिला प्रशासन को तुरंत सूचित करना चाहिए।
भूकंपरोधी भवन निर्माण और प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण
कार्यशाला के दौरान, भवनों को सुरक्षित और भूकंपरोधी बनाने की जानकारी भी साझा की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि संरचनाओं की मजबूती और भूकंपरोधी तकनीकों का उपयोग आपदा के प्रभाव को काफी हद तक कम कर सकता है। इसके अतिरिक्त, आपदा के समय प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रेससिटेशन) और पट्टी बांधने जैसे अभ्यास शामिल थे।
अमरजीत सिंह ने सभी स्वयंसेवकों से आग्रह किया कि वे हमेशा अपने साथ प्राथमिक उपचार की सामग्री, जैसे पट्टियाँ, रखें ताकि किसी भी आपात स्थिति में उनका उपयोग किया जा सके। उन्होंने यह भी बताया कि प्रशिक्षित व्यक्ति के द्वारा दिए गए सही और त्वरित प्राथमिक उपचार से जान-माल की सुरक्षा की संभावना काफी बढ़ जाती है।