फरीदाबाद के अमृत अस्पताल में 25 हफ्ते में जन्मे एक साथ तीन बच्चियों ने लिया जन्म , डॉक्टरों ने बताया भारत में पहले ऐसा केस , 75 दिन अस्पताल में रहने के बाद आज दी गई अस्पताल से छुट्टी।

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हरियाणा के जिले फरीदाबाद में स्थित अमृता अस्पताल में एक साथ तीन बच्चियों ने जन्म लिया बताने की यह बच्चियों 25 हफ्ते में यानी समय से पहले पैदा हुई थी जिनका वजन महज 800 और 900 ग्राम था अस्पताल में बच्चों के जन्म लेने के बाद उन्हें 75 दिनों तक अस्पताल में इलाज के लिए रखा गया आज उनका वजन लगभग ढाई ढाई किलो हो गया है और बच्चियों पूरी तरह स्वस्थ हैं इसके बाद आज बच्चियों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है इस मौके पर न केवल बच्चियों के माता-पिता उनके नाना नानी और दादी पूरे परिवार में खुशी का माहौल है वही डॉक्टर ने बताया कि यह भारत में दूसरा ऐसा कैसे हैं की एक साथ इतने ही वजन के तीन बच्चियों ने जन्म लिया लेकिन भारत का पहला ऐसा कैसे हैं कि यह बच्चे पूरी तरह स्वस्थ रहे इन्हें जन्म या जन्म के बाद कोई ऐसी गंभीर बीमारी सामने नहीं आई उन्हें जब चौकी टीम ने कड़ी निगरानी में रखा आज बच्चियों पूरी तरह स्वस्थ हैं जिन्हें उनके माता-पिता के हवाले कर दिया गया है और अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

तस्वीरों में दिखाई दे रही यह तीन वही बच्चियां हैं जिन्होंने एक साथ अमृता अस्पताल में जन्म लिया बच्चियों के माता-पिता गाजियाबाद में रहते हैं मां पैसे से एक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं तो पिता उत्तर प्रदेश में पुलिस में सब इंस्पेक्टर हैं दोनों की उम्र 45 वर्ष से ज्यादा है बता दें कि चंद्रशेखर और ज्योत्सना की शादी लगभग 7 साल पहले हुई थी तभी से वह बच्चों के लिए कोशिश कर रहे थे लेकिन जब वह प्राकृतिक तरीके से बच्चों के माता-पिता नहीं बन पाए तब उन्होंने आईवीएफ का सहारा लिया और गाजियाबाद में ही किसी अस्पताल में आईवीएफ कराया पहले चांस में सफल नहीं हुए दूसरे साल में आईवीएफ के दौरान बच्चा गर्भ में पालने में सफल रहे लेकिन एक साथ तीन-तीन बच्चे पेट में पल रहे थे जिसको लेकर न केवल ज्योत्सना बल्कि उनके पति चंद्रशेखर को काफी चिंता हो रही थी लगातार वह डॉक्टरों की निगरानी में थे तभी गाजियाबाद के डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि तीन बच्चों को पेट में एक साथ रखना मुश्किल है एक बच्चे को आप खराब कर दीजिए लेकिन ज्योत्सना और चंद्रशेखर ने इसके लिए हम ही नहीं भरी और साफ मना कर दिया कि वह तीनों बच्चों को ही रखना चाहते हैं लेकिन दूसरा को इंफेक्शन था और शुगर के चलते जोशना को मैच 25 हफ्तों में ही डिलीवरी करनी पड़ी इसको लेकर चंद्रशेखर ने बताया कि उन्होंने कई अस्पताल ट्राई किया लेकिन फरीदाबाद के अमृत अस्पताल में उनका विश्वास दिखा जिसके बाद वह डिलीवरी कराने के लिए अपने पति को अस्पताल लेकर पहुंचे थे बीते 27 जनवरी को तीन बच्चियों ने जन्म लिया। इसके बाद से बच्चे लगातार डॉक्टरों की निगरानी में थे उन्हें पूरा भरोसा था कि बच्चे डॉक्टरों की निगरानी में बिल्कुल स्वस्थ हो जाएंगे हालांकि बच्चों के जन्म से पहले उन्हें काफी चिंता और घबराहट हो रही थी लेकिन अमृता अस्पताल में आने के बाद अस्पताल के डॉक्टर और स्टाफ ने न केवल उनकी और उनके बच्चों की अच्छे से देखभाल की इसके चलते आज उनके बच्चे सही सलामत और तंदुरुस्त हैं वह अपने बच्चों को लेकर आज अपने घर जा रहे हैं इसको लेकर उन्हें काफी खुशी है।

बता दे कि वही इस मौके पर बच्चियों के नाना नानी और दादी ने भी न केवल एक साथ तीन-तीन बच्चियों के पैदा होने पर खुशियां जाहिर की बल्कि उन्होंने बताया कि जब बच्चे नहीं हो रहे थे तो उन्होंने भी भगवान से बच्चा होने के लिए दुआएं मांगी थी भगवान ने उनकी दुआ न केवल कबूल की बल्कि तीन तीन बच्चियों को एक साथ उनकी झोली में डाल दिया इसको लेकर उन्होंने भी अस्पताल के स्टाफ और डॉक्टरों का शुक्रिया अदा किया उन्होंने बच्चियों और उनकी मां की अच्छे से देखभाल की इसके चलते बच्चियों अब सही सलामत घर जा रही है।

वियो। वहीं इस मामले में जानकारी देते हुए अमृता अस्पताल के डॉक्टर हेमंत ने बताया कि जब ज्योत्सना अस्पताल में पहुंची थी तब उन्होंने हाई बीपी और शुगर के साथ-साथ इंफेक्शन था जिसके चलते उन्हें ऑपरेशन कर उनकी डिलीवरी करानी पड़ी डिलीवरी के दौरान तीन बच्चियों ने जन्म लिया जिनमें दो बच्चियों का वजन 800, 800 ग्राम और एक का वजन 900 ग्राम था। डॉ हेमंत ने बताया कि ऐसा नहीं है कि इतने सप्ताह के बच्चे पहले इस अस्पताल या भारत में पैदा नहीं हुए हैं इससे पहले भी ऐसे बच्चे पैदा हो चुके हैं जो आज भी सही सलामत और जीवित है लेकिन एक साथ तीन बच्चियों ने 25 सप्ताह के अंदर जन्म लिया और बिल्कुल सही सलामत जन्म लिया कोई बच्चियों को बीमारी नहीं थी इसी के चलते उन्होंने बच्चियों को NICU में रखा क्योंकि बच्चियों के पूरे अंग अभी नहीं बने थे इतनी कम उम्र में पैदा होने वाले बच्चों में कई कमी आ जाती हैं इन बच्चियों के हार्ट भी पूरी तरह विकसित नहीं थे इसके चलते उन्हें आंखें पेट में पल रहे बच्चे के वातावरण के तौर पर ही ऐसा ही वातावरण बना कर रखा गया और 75 दिनों तक बच्चियां अस्पताल में रही इसको लेकर ना केवल डॉक्टरों की टीम बल्कि नर्सिंग टीम भी पूरी तरह अलर्ट थी इन बच्चियों का कोई विशेष इलाज नहीं किया गया क्योंकि बच्चियों बीमार ही नहीं थी और अब बच्चियों पूरी तरह स्वस्थ हैं पैदा होने के समय वजन बेहद कम था लेकिन अब लगभग बच्चियों का वजन ढाई ढाई किलो हो चुका है जिन्हें उनके माता-पिता आज अपने घर लेकर जा रहे हैं इसको लेकर बच्चियों के माता-पिता ने अस्पताल और डॉक्टरों का धन्यवाद किया है।

डॉ हेमंत सीनियर कंसल्टेंट मेंनटोलॉजी डिपार्टमेंट

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