177 शिकायतों का निस्तारण करते हुए 8,30,426/-रुपए रिफंड व 1,38,141रु बैंक में कराए सीज

साइबर अपराधियों ने शिकार फंसाने के लिए असली वेबसाइट से मिलती–जुलती फर्जी साइट का बिछा रखा है जाल:- जसलीन कौर डीसीपी साइबर क्राइम

फरीदाबाद- आजकल तकनीकि के दौर में अलग-2 तरह से लोगों को ऑनलाइन सुविधाएं मिल रही है। जिसके माध्यम से लोग अपने ज्यादातर काम करने के लिए तकनीकि पर ही निर्भर हैं। साइबर अपराधी लोगों की इसी निर्भरता का फायदा उठाकर विभिन्न प्लेटफॉर्म से लोगों का डाटा प्राप्त करके उनको झांसे में लेकर उनके साथ ठगी कर रहे हैं। साइबर ठगी के लिए साइबर अपराधी लोगों को विभिन्न प्रकार से लालच देते हैं, जिनमें से कुछ बडे़ प्रकार QR, UPI ,टेलीग्राम टास्क फ्रॉड, इन्वेस्टमेंट फ्रॉड, कस्टमर केयर अधिकारी बनकर फ्रॉड, लोन फ्रॉड, अश्लील वीडियों बनाकर ब्लैकमेल करके, लोगों के खाते में बहाने से पैसे डलवाने का लालच देना, बैक अधिकारी बनकर ओटीपी प्राप्त करना प्रमुख है।

साइबर अपराध के तरीके:

UPI फ्रॉड:

आजकल साईबर ठग QR कोड का इस्तेमाल करके भी लोगों को लूटते हैं, वो आपको ऐसे जरुरी दिखने वाले लिंक या QR कोड भेजते है। जिन्हे स्कैन करने पर या खोलने पर आपके बैंक अकाउंट से सीधे पैसे चुरा लिए जाते है। अतः इससे बचने के लिए किसी अंजान व्यक्ति से मिले QR को कभी स्कैन न करें। जरुरी हो तो सिर्फ भरोसेमंद लोगों के QR कोड ही स्कैन करें। यदि आपके पास कोई भी संदिग्ध QR कोड आता हौ तो उसके संबंध में तुरंत बैंक को सूचित करें। स्कैमर्स अलग-अलग तरीके से लोगों को यूपीआई के जरिए अपना शिकार बनाते हैं। स्कैमर्स किसी यूजर के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करते हैं और फिर उन्हें कॉल कर कहते हैं कि गलती से उनका पैसा ट्रांसफर हो गया है। इसके बाद उनसे पैसे रिफंड करने को कहा जाता है। इसके लिए उन्हें यूपीआई का लिंक भेजा जाता है। जैसे ही इस लिंक पर यूजर क्लिक करते हैं, उनके फोन का कंट्रोल स्कैमर्स के पास पहुंच जाता है और वे डिजिटल वॉलेट या बैंक अकाउंट से पैसा गायब कर देते हैं। QR कोड का प्रयोग पेमेंट लेने के लिए किया जाता है ना कि देने के लिए।

ऑनलाईन शाॉपिंग फ्रॉड:

आजकल साईबर फ्रॉड करने वाले लोग किसी भी वेबसाईट के नाम से मिलत-जिलती एक दूसरी साईट बना देते है। इसे ओपन करने पर बिलकुल असली साईट के जौसी दिखती है। ऐसी साईट बनाने के बाद गूगल एडवर्ड्स पर डाल कर इन्हे ट्रेंड करा दिया जाता है। ऐसा करने पर ये साईट सर्च इंजन में भी उपर दिखाई देती है। इस साईटस पर काफी कम कीमत में सामान दिखाया जाता है। जिससे ग्राहक प्रभावित होते है और सस्ते के चक्कर में ऑनलाईन पेमेंट कर देतें है। ग्राहको से पेमेंट लेने के बाद ये लिंक डिएक्टिवेट हो जाते है। अतः इस तरह की ठगी से बचने के लिए सबसे जरुरी है कि जिस भी साईट से शापिंग करना चाहते हैं उसका प्रॉपर QR ब्राउजर के एड्रेस बार में टाईप करके ही साईट पर जाएं औऱ खरीदारी करें।

ऑनलाइन शाॉपिंग फ्रॉड से कैसे बचें-

ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले साइबर अपराधी किसी बैंकिंग वेबसाइट की हूबहू डुप्लीकेट वेबसाइट बनाते हैं। जिसपर आरबीआई की सभी शर्त व गाइडलाइन भी मेंशन करते हैं।

• जो ऐप्स प्रीपेमेंट फीस, प्रोसेसिंग फीस या प्री क्लोजर फीस ज्यादा मांगे उनके इस्तेमाल से परहेज करना चाहिए

• अनवेरिफाइड ऑनलाइन बैंकिंग ऐप्स जो उधार देते हों उनसे बचना चाहिए. ऐसे फ्रॉड ऐप आपसे आपकी गोपनीय जानकारियां जैसे बैंक खाते संबंधित डीटेल्स, क्रेडिट और डेबिट कार्ड की जानकारी, पिन कार्ड या एड्रेस मांगते हैं.

• किसी ऐप से लोन लेने से पहले ऐप स्टोर पर ऐसे ऐप की रेटिंग चेक करें.

• अगर ऐसे ऐप आरबीआई और नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी से जुड़े हुए खुद को बता रहे हैं तो एक बार वेरिफाई जरूर कराएं.

• किसी भी ‘प्रोसीड’ ऑप्शन पर क्लिक करने से पहले सभी जरूरी विवरणों को जरूर देखें। नियम और शर्तों को पहले ध्यान से पढ़े।

साइबर पुलिस की उपलब्धियाँ:

09 फरवरी से 15 फरवरी तक फरीदाबाद की साइबर
पुलिस ने 07 केस सुलझाते हुए 18 आरोपियों को गिरफ्तार
कर 32,88,600 /- रूपए किए बरामद

04 केस साइबर सेंन्ट्रल, 02 साइबर बल्लबगढ़ तथा 01 मामला साइबर एनआईटी ने सुलझाए

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में सुरेश, अंशु, सूरज, हेमंत, हिमांशु धीरज, प्रवेश, निशिथ, अतुल, सागर, ऋतिक, घनश्याम, अंकित, विकास, प्रमोद, इरफान, जिशान तथा महिला आरोपी ज्योति का नाम शामिल है। उक्त आरोपी यूपीआई या शॉपिंग फ्रॉड के माध्यम से साइबर ठगी की वारदातों को अंजाम देते थे जिनके मुकदमे फरीदाबाद के तीनों साइबर थानों में दर्ज किए गए थे।

इस सप्ताह में साइबर पुलिस ने 1773 शिकायतों का
निस्तारण करते हुए 8,30,426 /- रूपए करवाए रिफंड वा
1,38,141/- रूपये बैंकों में सीज कराये गये।

साइबर ठगी होने पर किससे करें संपर्क:

साइबर अपराध होने पर अपनी शिकायत साइबर हेल्पलाइन 1930 या https://cybercrime.gov.in पर दर्ज करवाएं। साइबर पुलिस द्वारा साइबर अपराधियों के बैंक खातों को फ्रीज करके ठगी से प्राप्त की गई राशि वापस आपके बैंक खाते में ट्रांसफर करवा दी जाएगी।

यदि कोई भी संस्था साइबर जागरुकता से संबंधित
प्रोग्राम/प्रलिक्षण करवाना चाहता है तो मोबाइल नम्बर
9991252353 पर सम्पर्क करें

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