हीट वेव और डिहाइड्रेशन से खतरा बढ़ा: राम चंद्र सोनी

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फरीदाबाद, 10 जून। तपती गर्मी और लगातार बढ़ता तापमान शहरवासियों के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है। तापमान 42 डिग्री सेल्सियस से ऊपर पहुंचने के कारण लू और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि इस मौसम में हल्की सी लापरवाही भी शरीर को गंभीर बीमारियों की ओर धकेल सकती है। ऐसे में जरूरी है कि लोग समय रहते सतर्क हों और अपनी दिनचर्या में जरूरी बदलाव करें।
ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी डिपार्टमेंट के चेयरमैन डॉ. रामचंद्र सोनी ने बताया कि गर्मी के इस मौसम में शरीर तेजी से पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी का शिकार होता है। इसका असर सबसे पहले सिरदर्द, चक्कर आना, कमजोरी, बार-बार प्यास लगना और उल्टी जैसे लक्षणों में दिखता है। यदि समय पर ध्यान न दिया जाए तो व्यक्ति हीट स्ट्रोक का शिकार हो सकता है, जो कई बार जानलेवा भी साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि लू लगने पर त्वचा लाल या रूखी हो सकती है, पैरों की मांसपेशियों में दर्द और थकावट महसूस हो सकती है। लंबे समय तक धूप में रहने से भ्रम की स्थिति, मुंह सूखना, पसीना अधिक आना, दस्त और उल्टी जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। इस स्थिति में तुरंत घरेलू उपाय जैसे ओआरएस, नींबू पानी, नमक-चीनी का घोल, छाछ, लस्सी या सत्तू का सेवन करना चाहिए।
डॉ. रामचंद्र सोनी ने बताया कि हीट स्ट्रोक से बचने के लिए सबसे जरूरी है बचाव। उन्होंने कहा कि घर से बाहर निकलते समय हल्के और सूती कपड़े पहनें, सिर को टोपी, स्कार्फ या छाते से ढकें। खाली पेट या बिना पानी पिए घर से न निकलें। बाहर काम करने वालों को हर 20-30 मिनट में पानी पीते रहना चाहिए। बच्चों और बुजुर्गों को धूप में न जाने दें और यदि बाहर जाना जरूरी हो तो विशेष सावधानी बरतें।
उन्होंने यह भी चेताया कि गर्मी के कारण डिहाइड्रेशन की स्थिति में यूरीन का रंग गहरा पीला होने लगता है, मुंह सूखता है और घबराहट या सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। ऐसी स्थिति में तुरंत तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए और चिकित्सकीय सलाह लेना जरूरी हो जाता है।
उन्होंने सलाह दी है कि इस मौसम में तले-भुने और ऑयली खाने से परहेज करें। जंक फूड और ठंडी कोल्ड ड्रिंक्स की जगह घरेलू पेय जैसे शिकंजी, बेल का शरबत, आम पना आदि का सेवन करें। स्मोकिंग और शराब से दूरी बनाएं क्योंकि ये शरीर में पानी की कमी को और बढ़ाते हैं।
डॉ. सोनी का कहना है कि गर्मी में सबसे अधिक खतरा हृदय रोगियों, डायबिटीज से पीड़ित और किडनी के मरीजों को होता है। ऐसे लोग अगर डॉक्टर की सलाह से पानी की मात्रा सीमित कर रहे हों तो उन्हें अपने खानपान और दिनचर्या पर विशेष ध्यान देना चाहिए। बुजुर्गों को दिन के सबसे गर्म समय में बाहर जाने से बचना चाहिए।
गर्मी को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। शरीर में पानी की मात्रा संतुलित रखकर, समय-समय पर पेय पदार्थों का सेवन कर और सावधानी बरतकर हम लू और डिहाइड्रेशन जैसे खतरों से खुद को और अपने परिजनों को सुरक्षित रख सकते हैं।

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