बिहार पुलिस जिसने दुनिया की तथाकथित सबसे अच्छी मुम्बई पुलिस को उसी की मुम्बई में उसी को जमुरा बना दिया, डीजीपी बिहार के सामने फेल हुई मुम्बई पुलिस

0
29
Bihar

(Front News Today) शुरू में मुम्बई पुलिस सहयोग नहीं कर रही थी पर डायरेक्ट अड़ंगा भी नही लगा रही थी। जैसे ही बिहार पुलिस दिशा सालियान केस की तरफ मुड़ी मुम्बई पुलिस और उसके आका ठाकरे के कान खड़े हुए क्योंकि दिशा केस में हाथ लगने का मतलब बेबी पेंग्विन का फसना तय था।

बिहार पुलिस जैसे ही पुलिस स्टेशन पहुची दिशा केस की फाइल लेने ठाकरे के फोन आया और पुलिस फाइल देने से मना कर दी। ठीक इसी दिन आईपीएस विनय तिवारी मुम्बई पहुचते हैं और इंक़वारी शुरू करते है ….

इंक्वायरी शुरू करने से पहले उन्होंने पहले किये अनुरोध के आधार पर आईपीएस मेस की मांग की , मांग पर बहाना बनाया जाने लगा। इसकी सूचना विनय तिवारी ने एसएसपी पटना को दी, एसएसपी पटना ने डीसीपी बांद्रा को लगभग 10 बार फोन किया पर डीसीपी बांद्रा ने रेस्पांड नही किया। क्योंकि मुम्बई पुलिस को लग गया था कि बिहार पुलिस हर हाल में ठाकरे तक पहुच जाएगी।

इसी दौरान एसएसपी पटना ने डीजीपी बिहार को खबर दी , उन्होंने ने डीजीपी महाराष्ट्र को सम्पर्क किया पर कोई रेस्पॉन्स नही मिला फिर डीजीपी के आग्रह पर गृह सचिव बिहार ने गृह सचिव महाराष्ट्र को सम्पर्क किया पर कोई जबाब नही मिला।
इसी दौरान विनय तिवारी अपने किसी दोस्त के घर बैठकर वीडियो कॉल के जरिये पूछताछ शुरू कर दिए। इसकी भनक मुम्बई पुलिस को लग गयी। तभी डीसीपी मुम्बई ने एसएसपी पटना को सम्पर्क किया और मीटिंग में होने का बहाना कर फेथ में लेते हुए एसएसपी पटना से ये कहते हुए विनय तिवारी का लोकेशन ले लिया कि वो आईपीएस मेस में जगह दिला देंगे। लोकेशन मिलते ही विनय तिवारी को हाउस अरेस्ट कर लिया गया होम कोरोनटाइन के नाम पर।
अब मुम्बई पुलिस का अगला निशाना 4 पुलिस अफसर की टीम थी उनका मोबाइल लोकेशन ट्रेस किया जाने लगा। इधर विनय तिवारी के हाउस अरेस्ट होते ही बिहार पुलिस हरकत में आई और मुम्बई में स्थित अपने 4 अफसरों का मोबाइल लोकेशन चेंज कर दिया। हर मिनट चेंज होने वाली फ्रिक्वेंशी पर चारो के मोबाइल सेट कर दिए गए।
मुम्बई पुलिस लगातार लोकेशन ट्रेस करती रही पर बिहार पुलिस के अफसरों के मोबाइल लोकेशन ट्रेस नही कर पाई। मुम्बई पुलिस इन्हें भी हाउस अरेस्ट कर इनके द्वारा जुटाए एविडेन्स नष्ट करना चाहती थी। पर खुद को दुनिया की सबसे अच्छी पुलिस मानने वाली मुम्बई पुलिस को टेक्नोलॉजिकल शह मात के खेल में बिहार पुलिस ने गच्चा दे दिया। होता ये था कि मुम्बई पुलिस को बिहार पुलिस का लोकेशन दिखता था दादर में पर वो होते बांद्रा में थे।
इसके बाद मुम्बई पुलिस ने रोड पर और सम्भावित अभियुक्तों के ठिकानों पर चौकसी बढ़ा दी अब चुकी इन 4 बिहार पुलिस के अफसरों की पहचान मीडिया में उजागर हो गयी थी इसलिए इनका सार्वजनिक रूप से इन्वेस्टिगेशन करना मुश्किल हो गया था।
अब इसी टाइम से शुरू हुआ बिहार के डीजीपी श्री गुप्तेश्वर पाण्डेय जी का गेम प्लान।
वास्तव में अपने 4 अफसर जो पहले गए थे उनके जाने के बाद और विनय तिवारी के मुम्बई लैंड करने के 3 दिन पहले बिहार पुलिस के 5 और जांबाज ऑफिसर मुम्बई पहुच अंडरकवर इन्वेस्टिगेशन शुरू कर चुके थे। बिहार पुलिस का प्लान था कि शुरू के 4 ऑफिसर मीडिया हाइप के साथ भेजो जिससे कि सबका ध्यान उन्ही 4 पर रहे …. फिर पीछे से उन 5 को गुप्त तरीके से भेजा गया और अपने मिशन को अंजाम देने में लग गए।
अब मुम्बई पुलिस समझ नही पा रही थी कि 4 ऑफिसर बाहर निकल नहीं रहे , विनय तिवारी को कोरोनटाइन कर दिया फिर भी बिहार पुलिस का इन्वेस्टिगेशन कैसे चालू है ?
होता यूं था कि जिससे जिससे पूछताछ करनी थी या जिस जिस जगह पर जाना था उस उस जगह पर ये बाद में गुप्त रूप से गए 5 ऑफिसर छद्दम भेष में जाते थे और सारी जानकारी इकट्ठा करते थे , जिनकी गवाही लेनी थी उनका वही से विडीयो काल पर विनय तिवारी से बात करवाते थे और उसी बातचीत में विनय तिवारी पूछताछ कर लेते थे। ये सिलसिला लगातार चल रहा था पर मुम्बई पुलिस समझ नही पा रही थी।
इसी बीच बिहार के जो 4 ऑफिसर शुरू में गए थे बिहार लौटने के लिए एयरपोर्ट पहुचते है क्योंकि केस सीबीआई को ट्रांसफर हो चुका था। तभी मुम्बई पुलिस का माथा ठनका उसने बिहार से 27 जुलाई के बाद आए हर शख्स को स्कैन करना शुरू किया तो पता चला कि उन 4 के बाद 5 और अफसर आये थे जिनकी वापसी उसी फ्लाइट से थी जिनसे 4 जा रहे थे। अब मुम्बई पुलिस कुछ नही कर सकती थी क्योंकि सारे 9 एयरपोर्ट के अंदर थे और वहां से सारा कंट्रोल गृह राज्य मंत्री नित्यानन्द राय जी के हाथ मे था।
इसी खीज में आईजी पटना के आग्रह के बाद भी बीएमसी ने विनय तिवारी को नही छोड़ा पर तब तक ये मसला सुप्रीम कोर्ट में उछल चुका था क्योंकि बिहार पुलिस सुप्रीम कोर्ट पहुच गयी थी और इधर एडीजी बिहार ने फिर एक पत्र लिखा विनय तिवारी को छोड़ने के लिए।
बिहार पुलिस से मात खाने के बाद मुम्बई पुलिस को अब सुप्रीम कोर्ट से करवाई का डर सताने लगा और उसे तिवारी जी को रिलीज करना पड़ा।
बिहार पुलिस अपना काम कर चुकी थी, डीजीपी साहब का प्लान सफल हो गया था।
भारत के किसी भी स्टेट पुलिस द्वारा मुम्बई पुलिस को उसके घर मे घुस उसकी तमाम आपत्ति के बाद भी उसकी नाक के नीचे से सारी जानकारी बाहर निकाल लाने की ये पहली घटना थी जो स्वर्णिम अक्षरों के दर्ज हो गयी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here