Front News Today: चुनाव डयूटी सरकारी कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण कर्मकांड से भरपूर पर्व है, दरअसल एक दृष्टि से ये सरकारी कर्मचारी का करवाचौथ का व्रत है, इसमे कर्मचारी अपने सुहाग यानी ‘सरकारी नौकरी’ की रक्षा और मंगल कामना के लिए भूखे प्यासे कठोर साधना करता है।
यदि चुनाव की डयूटी आपने सफलता पूर्वक पूर्ण कर ली तो आप की सारी नालायकी कामचोरी वैसे ही माफ हो जाती है जैसे गंगाजी में डुबकी लगाने में सारे पाप धुल जाते हैं।
चुनाव डयूटी के दौरान कर्मचारी जितना अलर्ट ,कर्तव्य निष्ठ, कर्मठ, चैतन्य ,नियमबद्ध ,समय पाबंद ओर कार्योन्मुख और सबमिसिव रहता पूरे सेवाकाल में कभी नही रहता। ( यदि सरकारी कर्मचारी जैसी डयूटी चुनाव के दिन करता है,साल भर कर ले तो भारत चीन और अमेरिका को साल भर में पछाड़ दे !!)
उदाहरणार्थ, उसकी गाड़ी पंचर नही होती, उसका पेट खराब नही होता, उसका BP और शुगर कंट्रोल से बाहर नही होता
उसको बिजली पंखे सुविधाओं के बगैर भी काम करने में रोना नही आता, उसकी अमिट स्याही की बोतल नही लुढ़कती..
आफिस में तो फ़ाइल की फ़ाइल ढूंढे नहीं मिलती, यहां एक प्रपत्र भी नही खोता, रात को सारा कागज तैयार कर जमीन पर चादर बिछा बिना नाज़ नखरे नौटंकी के सो जाता है, बिना बैड टी के उसकी नींद तड़के 4 बजे खुल जाती है,वो खुले में शौच कर आता है, खड़े खड़े बम्बे पे नहा लेता है, छह बजे सज धज कर पूजन पंडाल सजा लेता है आरम्भिक अनुष्ठान (मॉक पोल) हेतु किसी भी दरिद्र यजमान (पोलिंग एजेंट) को ढूंढ कर साधना चालू कर देता है!