शिमला, 27/11/25: हिमाचल प्रदेश के सेब बागवान पिछले कई वर्षों से मौसम की अनिश्चितता और मिट्टी की घटती सेहत से लगातार जूझ रहे हैं। अनियमित मौसम, कम चिलिंग आवर्स और अत्यधिक बारिश या ओलावृष्टि जैसे हालातों ने फसल की पैदावार और गुणवत्ता दोनों पर भारी असर डाला है। ऐसे कठिन हालातों को देखते हुए, इस बार सीजन के तुरंत बाद अदाणी एग्री फ्रेश लिमिटेड ने अपने रोहरू, सेंज और रामपुर स्थित सेंटर्स में बीते सोमवार से सॉइल टेस्टिंग महीने की शुरुआत कर, किसानों को मिट्टी की सही जांच और फसल सुधार का एक आसान रास्ता देने की कोशिश की है।
इस साल अगस्त से अक्टूबर तक चले सेब खरीद सीजन में जहां कई संस्थानों ने किसानों से खरीद की, वहीं अदाणी ने भी लगभग 22 हजार टन सेब की ऐतिहासिक खरीद कर किसानों को तत्काल राहत देने का प्रयास किया। लेकिन असली चुनौती अभी भी खत्म नहीं हुई है। मिट्टी की गुणवत्ता में तेजी से कमी और उससे पैदा होने वाली फसल बीमारियाँ किसानों के लिए गंभीर चिंता हैं। प्रदेश की स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने भी बागवानों को बार-बार सलाह दी है कि फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए समय-समय पर मिट्टी की जांच करवाना बेहद जरूरी है। इसी दिशा में, अदाणी एग्री फ्रेश के इन प्रोक्योरमेंट सेंटर्स द्वारा शुरू किया गया सॉइल टेस्टिंग कार्यक्रम किसानों के लिए किफायती और उपयोगी साबित हो सकता है।
इस पहल के तहत एएएफएल से जुड़े किसानों को एक सैंपल मुफ्त की सुविधा तथा अन्य को मार्केट से कम कीमत पर यही सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। यह टेस्टिंग पूरी तरह वैज्ञानिक व प्रमाणित पद्धति से होगी, जिससे बागवानों को यह स्पष्ट जानकारी मिल सकेगी कि उनकी जमीन में कौन-से पोषक तत्व कम हैं और क्या सुधार ज़रूरी है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस तरह की पहल से प्रदेशभर के 5000 से अधिक किसानों को लाभ होगा।
स्थानीय किसानों का भी मानना है कि मौसम पर भले ही हमारा वश नहीं, लेकिन मिट्टी की सेहत को बेहतर बनाना हमारे हाथ में है। हिमाचल के सेब उत्पादकों के लिए यह पहल संकट के समय में और बेहतर भविष्य को ध्यान में रखते हुए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। गौरतलब है कि खरीदी सीजन के दौरान भी जहाँ कई निजी कंपनियों ने खरीदी घटा या रोक दी थी, वहीं अदाणी एग्री फ्रेश लिमिटेड किसानों से लगातार खरीदी करता रहा और किसानों को सुविधा देने के लिए अपने प्रोक्योरमेंट सेंटर्स 24 घंटे खुले रखे। यहाँ तक कि आधी रात को पहुँचने वाले किसानों से भी सेब की खरीदी की जा रही थी।



