Front News Today: नई दिल्ली, दिनांक 15.09.2020,आज ‘इंजीनियर्स डे’ के अवसर पर दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने i-ATS को चालू करने के साथ ही मेट्रो रेलवे के लिए स्वदेश निर्मित सीबीटीसी (कंप्यूटर आधारित ट्रेन कंट्रोल) आधारित सिगनलिंग प्रौद्योगिकी विकसित करने की ओर महत्वपूर्ण कदम उठाया है जो कि सिगनलिंग प्रणाली का एक महत्वपूर्ण सब सिस्टम है।
आज शास्त्री पार्क में श्री दुर्गा शंकर मिश्र, सचिव, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा डीएमआऱसी के प्रबंध निदेशक डॉ. मंगू सिंह, श्रीमती शिखा गुप्ता, निदेशक बीईएल तथा डीएमआरसी और बीईएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में इस प्रोटोटाइप सिस्टम के साथ अन्य सब-सिस्टम के स्वदेशी सीबीटीसी प्रौद्योगिकी के भावी विकास के लिए आधुनिकतम प्रयोगशाला का उद्घाटन किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री मिश्र ने कहा कि “यह वास्तव में गर्व का अवसर है जिससे कुछ ऐसा होने जा रहा है जो आत्मनिर्भर भारत की पहल के लिए हमें सुदृढ बनाएगा। हमने जिस तरह से देश में मेट्रो के विकास के लिए स्वदेशीकरण को बढावा दिया है, मुझे पूरा विश्वास है कि इस इंडियन सिस्टम को देश के बाहर भी विक्रय किया जाएगा और हम इस क्षेत्र में भी अग्रणी बन सकेंगे”।
डॉ. मंगू सिंह ने इस उपलब्धि को मेट्रो रेल सिस्टम के ऑपरेशन के लिए अपेक्षित स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम बताया। “यह स्वदेशी सीबीटीसी सिस्टम के विकास के लिए उठाया गया एक बड़ा कदम बताया। मैं आश्वस्त हूँ कि हम साथ मिलकर काम कर सकेंगे और स्वदेशी मेट्रो रेल के निर्माण व परिचालन के क्षेत्र में नए आयामों को स्पर्श करेंगे।”
ऑटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन (एटीएस) एक कंप्यूटर आधारित प्रणाली है जो ट्रेन ऑपरेशंस को मैनेज करती है। यह सिस्टम मेट्रो जैसे छोटे अंतराल वाले परिचालनों के लिए अति आवश्यक है जहां हर एक मिनट के बाद सेवाएं दी जाती हैं। i-ATS स्वदेशी विकसित प्रौद्योगिकी है जिससे इंडियन मेट्रो की उन विदेशी वेंडरों पर निर्भरता काफी कम होगी जो ऐसी प्रौद्योगिकियों पर काम कर रहे हैं।
सीबीटीसी जैसी प्रौद्योगिकी प्रणालियां मुख्य रूप से यूरोपीय देशों और जापान द्वारा नियंत्रित की जाती हैं। भारत सरकार के “मेक इन इंडिया” पहल के हिस्से के रूप में, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने सीबीटीसी प्रौद्योगिकी को स्वदेशी बनाने का निर्णय लिया है।
डीएमआऱसी के साथ-साथ नीति आयोग, आवासन औऱ शहरी कार्य मंत्रालय, भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड औऱ सी-डेक इस विकास कार्य के सहयोगी हैं। डीएमआरसी को इस महत्वपूर्ण “मेक इन इंडिया” पहल का नेतृत्व करने के लिए नामित किया गया है।
इस परियोजना को आगे ले जाने के लिए, डीएमआरसी और बीईएल ने इस स्वदेशी ATS प्रणाली के विकास के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। डीएमआरसी और बीईएल, गाज़ियाबाद की एक समर्पित टीम ने संयुक्त रूप से इस “आत्म निर्भर भारत” मिशन को साकार करने के लिए अथक प्रयास किया है।
डीएमआरसी ने लाइन-1 (रेड लाइन) अर्थात रिठाला से शहीद स्थल, गाज़ियाबाद के ATS को अपग्रेड करते हुए स्वदेशी ATS (i-ATS) के उपयोग का निर्णय लिया है। फेज-4 में भी इसका उपयोग किया जाएगा। इस प्रौद्योगिकी की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार हैं:-
यह विभिन्न सप्लायरों के ट्रेन कंट्रोल एवं सिगनलिंग सिस्टम पर काम कर सकती है।
i-ATS ट्रेन कंट्रोल एवं सिगनलिंग सिस्टम की प्रौद्योगिकी के विभिन्न स्तरों पर काम कर सकती है।
यह भारतीय रेलवे जो कि ATS गतिविधियों का उपयोग करती है, में इस्तेमाल लिए भी उपयुक्त है, जो इस समय केंद्रीकृत ट्रेन कंट्रोल का बड़े पैमाने पर उपयोग कर रही है।
फेज-4 कॉरिडोरों में i-ATS प्रणाली के उपयोग से प्रिडिक्टिव मेंटेनेंस मॉड्यूल की शुरूआत भी की जाएगी।
इस अवसर पर ट्रेन ऑपरेटरों को ड्राइविंग और ट्रबलशूटिंग कौशलों के प्रशिक्षण के लिए “रोलिंग स्टॉक ड्राइवर प्रशिक्षण प्रणाली” के स्वदेशी विकास के लिए बीईएल के साथ एक अन्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। हम इसके आयात पर पूरी तरह निर्भर हैं। इसे एक कंप्यूटर आधारित ‘बैक-एंड’ प्रणाली के साथ ट्रेन ड्राइविंग कैब में स्थापित किया जाएगा जहां ट्रेन ऑपरेटरों को ड्राइविंग और ट्रबलशूटिंग कौशलों का प्रशिक्षण देकर विभिन्न रियल लाइफ परिदृश्य उत्पन्न किया जाएगा।
प्रशिक्षण प्रणालियां, जिन्हें प्रचलित रूप से ड्राइविंग सिमूलेटर कहा जाता है, को अभी तक विशेष रूप से रोलिंग स्टॉक के लिए खरीदा जाता है। डेटाबेस में उपलब्ध विकल्पों में से चयन करके मल्टीपल स्टॉक के लिए स्वदेशी प्रणाली का उपयोग किया जा सकता है।

अनुज दयाल
कार्यकारी निदेशक
कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस, डीएमआरसी

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