(Front News Today) आइसक्रीम… ये नाम सुनते ही ठंडक का अहसास होता है…गर्मी आई नहीं कि लोग आइसक्रीम खाने को लालायित हो जाते हैं। आइसक्रीम के रिक्शावाले ने बेल बजाई नहीं कि बच्चे सरपट दौड़ लगाते हैं।उनकी तो बस यही चाहत होती है कि कैसे भी हो आइसक्रीम खाने को मिल जाए। लेकिन इस बार कोरोना सबको आइसक्रीम से दूर कर दिया है। इस सीजन कोरोना ने आइसक्रीम के कारोबार को करीब-करीब ठप करके ही रख दिया है।हर साल फरवरी-मार्च में गर्मी शुरू होते ही आइसक्रीम का बाजार बूम पर होता है।लेकिन कोरोना महामारी के चलते पूरे देश में तालाबंदी हो हो गई। लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए और इस लॉकडाउन ने आइसक्रीम जैसे बिजनेस की कमर तोड़ दी। अनलॉक के बाद भी यही स्थिति है। इस कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो इस सीजन में उन्हें करोड़ों रुपए का घाटा हो चुका है। अकेले दिल्ली में ही 200 से ज्यादा आईसक्रीम की फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं। कुछ फैक्ट्रियां खुली भी हैं तो उनमें काम करने के लिए मजदूर नहीं हैं। क्योंकि लॉक़डाउन के चलते दो जून की रोटी को तरसते मजदूरों ने अपने अपने गांवों का रुख कर लिया था। हालात ये हैं कि न तो फैक्ट्रियों में काम करने के लिए मजदूर है और न ही आइसक्रीम बेचने वाले…इसीलिए अब सड़कों पर आइसक्रीम की रेहडियां नहीं के बराबर ही नजर आती हैं….इतना ही नहीं सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से इस साल शादी का पूरा सीजन भी बेहद फीका रहा… लिहाजा शादियों में लगने वाली आईस्क्रीम स्टाल का धंधा भी मंदा ही रहा…दिल्ली के अलग अलग इलाकों में आइसक्रीम पार्लर चलाने वाले रवि अरोड़ा के मुताबिक उनकी दुकानों का किराया 50 हजार से 70 हजार रुपए महीना है…अब न तो उनके पास कस्टमर हैं और न ही उन्हें बेचने के लिए फैक्ट्रियों से आइसक्रीम के कलरफुल प्रॉडक्ट्स मिल रहे हैं…हालात ये हैं कि जहां ठंड में भी कुछ लोग आइसक्रीम खाते नजर आ जाते… वहीं अब गर्मी में भी इसका लोग लुत्फ नहीं उठा पा रहे हैं… एक्सपर्ट्स की मानें तो आइसक्रीम खाने से कोरोना फैलने का खतरा बिल्कुल भी नहीं हैं… उनके मुताबिक लोगों के मन में इसको लेकर वहम बैठ गया है… एक्सपर्ट्स भले ही आइसक्रीम से कोरोना नहीं फैलने की बात कह रहे हों… लेकिन लोग कोरोना के डर से आइसक्रीम से दूरी बनाकर रखना ही मुनासिब मान रहे… और यही वजह है कि आइसक्रीम कारोबारियों को इसका बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।

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