स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया ने भारतीय कॉफी की नैतिक सोर्सिंग में रचा इतिहास, सस्टेनेबल बदलाव की ओर बड़ा कदम

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· स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया भारतीय कॉफी उत्पादकों को अपने उत्पाद सीधे चेक गणराज्य स्थित मुख्यालय में बेचने का अवसर प्रदान करती है।

· कंपनी द्वारा चेक गणराज्य में अपनी इकाइयों के लिए लगभग 25 टन कूर्ग कॉफी की सप्लाई की जाती है।

· कॉफी के बायप्रोडक्ट, कॉफी बीन से निकलने वाली भूसी, का उपयोग स्कोडा कोडियाक और ऑक्टेविया मॉडल की चमड़े की सीटों के लिए टैनिंग एजेंट के रूप में किया जाता है।

· इस पहल से सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा मिलता है, जिससे संसाधनों का पुन: उपयोग होता है और पर्यावरण संरक्षण में योगदान किया जाता है।

01 अक्टूबर, 2024: सतत विकास और समुदायों को सशक्त बनाने की दिशा में एक नई पहल करते हुए, स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया (SAVWIPL) ने भारतीय कॉफी उत्पादकों के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत कंपनी अपनी “क्यूरियोसिटी फ्यूल” पहल के जरिए भारतीय कॉफी को सीधे यूरोपीय बाजारों, विशेष रूप से स्कोडा ऑटो ए.एस. के मुख्यालय तक पहुंचाने में मदद कर रही है। इस परियोजना का उद्देश्य भारत की ‘मेक-इन-इंडिया’ पहल को समर्थन देना और स्थानीय उत्पादकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से जोड़ना है।

कूर्ग (कर्नाटक, भारत) में परिवार द्वारा संचालित कॉफी फार्म का सशक्तिकरण:

भारत दुनिया का आठवां सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक है, जो सालाना करीब 1.25 बिलियन डॉलर की कॉफी निर्यात करता है। अपनी खास खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर भारतीय कॉफी को अब चेक गणराज्य स्थित स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया के मुख्यालय में सालाना 25 टन तक सप्लाई किया जा रहा है। भारतीय कॉफी की इस समृद्ध विरासत को समझते हुए, स्कोडा ऑटो ने सीधे कूर्ग के परिवार द्वारा संचालित कॉफी फार्मों से कॉफी लेने का फैसला किया। इस पहल, जिसे ‘क्यूरियोसिटी फ्यूल’ कहा जाता है, के जरिए स्कोडा किसानों से सीधे जुड़ रही है, जिससे बिचौलियों को हटाया गया है। इससे न केवल किसानों को सही मूल्य मिलता है बल्कि यह पहल रेनफॉरेस्ट एलायंस द्वारा प्रमाणित निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं के मानकों पर भी खरी उतरती है। इस प्रोजेक्ट के जरिए पर्यावरण की रक्षा और पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया जा रहा है।

संवहनीयता और चक्रीय अर्थव्यवस्था पर फोकस:

स्कोडा ऑटो ए.एस. ने अपने कोडियाक और ऑक्टेविया मॉडल में चमड़े की सीटों के टैनिंग एजेंट के रूप में कॉफी बीन की भूसी का इस्तेमाल करना शुरू किया है, जिससे यह पर्यावरण के अनुकूल ऑटो प्रोडक्शन में एक महत्वपूर्ण कदम है। कॉफी बीन की भूसी, जिसे पहले बेकार समझा जाता था, अब इसे स्कोडा द्वारा मूल्यवान संसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। यह कंपनी की चक्रीय अर्थव्यवस्था के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जहां अपशिष्ट भी एक महत्वपूर्ण संसाधन बन जाता है।

स्कोडा क्यूरियोसिटी फ्यूल पहल:

स्कोडा ऑटो ए.एस. ने अपनी पूरी कंपनी में एक खास कॉफी “क्यूरियोसिटी फ्यूल” शुरू की है। यह कॉफी खासतौर पर इस तरह उगाई और पैक की गई है कि यह न केवल पर्यावरण के लिए अनुकूल हो, बल्कि किसानों के लिए भी फायदेमंद हो। इस कॉफी को स्कोडा के कर्मचारियों को नए विचारों के लिए प्रेरित करने और समूह के संवहनीयता लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसे स्‍ट्रैटेजी 2030 में उल्लिखित किया गया है।

स्कोडा ऑटो ए.एस. में प्रोक्योरमेंट बोर्ड के सदस्य, कार्स्टन श्‍नेक ने कहा, “हमारी ‘क्यूरियोसिटी फ्यूल’ पहल से हम अपनी सप्लाई चेन में सामाजिक, पर्यावरणीय और चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिद्धांतों को शामिल कर रहे हैं, जिससे यह दिखाता है कि स्कोडा ऑटो पर्यावरण के अनुकूल विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हमारी कॉफी नैतिक रूप से सोर्स की गई है, और हम अपने वाहनों में कॉफी के बॉय प्रोड्क्ट का इस्तेमाल करके ऑटोमोटिव क्षेत्र में संवहनीयता के नए मानक बना रहे हैं।”

स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और सीईओ, पीयूष अरोड़ा ने कहा, “हमारी ‘क्यूरियोसिटी फ्यूल’ परियोजना स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया की पर्यावरणीय विकास के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है। कूर्ग के कॉफी बागान मालिकों और हमारे वैश्विक व्यापार के बीच का फासला कम कर हम स्थानीय समुदायों के विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। यह पहल यह दिखाती है कि ऑटोमोबाइल उद्योग में असली प्रगति तभी होती है जब हम पर्यावरण की देखभाल और सामुदायिक सशक्तिकरण पर ध्यान दें। यह पहल ऑटोमोटिव उद्योग और भारत की समृद्ध कृषि परंपरा के बीच एक सकारात्मक और मजबूत संबंध स्थापित करने का प्रतीक है।”

कृषि और ऑटोमोटिव इनोवेशन को जोड़कर, स्कोडा यह दिखाना चाहता है कि किस प्रकार अलग-अलग क्षेत्रों के बीच सहयोग करके पर्यावरण के अनुकूल विकास और ग्रामीण समृद्धि को बढ़ावा मिल सकता है। साथ ही इससे ऐसे मॉडल को बढ़ावा मिलता है जिसमें हर व्‍यक्ति को बराबर मौका मिले और देश की आर्थिक स्थिति मजूबत हो।

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