(Front News Today) संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने या फिर सांस के माध्यम से हवा में वायरस छोड़ने से कोरोना वायरस फैलता है.
हवा में तैरते वायरस किसी भी व्यक्ति के शरीर में सीधे या फिर वैसी चीज़ को छूने से, जहाँ विषाणुयक्त कण गिरे हैं, वहाँ से आंख, नाक और मुंह के माध्यम से प्रवेश कर सकते हैं.
संक्रमण का बाहर से ज़्यादा जोखिम बंद जगहों पर होता है. ऐसी बंद जगहें जिसमें हवा के आने-जाने की अच्छी व्यवस्था की गई हो, वो संक्रमण के लिहाज़ से कम जोखिम वाली होती हैं. इसलिए सार्वजनिक परिवहनों जिसमें आप खिड़की खोल सकते हैं, वो इस लिहाज़ से थोड़ा बेहतर हैं.
ट्रेन और बसों में जोखिम इस बात पर निर्भर करता है कि उसमें कितनी भीड़ है और आप खुद को दूसरों से बस स्टॉप और स्टेशन जैसी जगहों पर कितना दूर रख सकते हैं.सार्वजनिक परिवहन इस्तेमाल करने से पहले दूसरे सभी विकल्पों पर विचार कर लेना चाहिए. अगर वो पैदल, साइकिल या फिर खुद ड्राइव कर के नहीं जा सकते तब उन्हें कुछ सावधानियाँ बरतनी चाहिए.

  • वैसे वक्त सफर करने से बच सकते हैं जब बहुत भीड़ होती हो.
  • वो रूट ले सकते हैं जो कम व्यस्त हो और बार-बार गाड़ी बदलने से बचे.
  • गाड़ी में चढ़ने से पहले सभी लोगों के उतरने का इंतजार करें.
  • कम से कम एक मीटर की दूरी लोगों से बना कर रखें.
  • यात्रा से लौटने के बाद कम से कम 20 सेकेंड तक हाथ धोए.

इसके अलावा मास्क पहनना तो अनिवार्य है ही.
आम धारणा है कि हवाई जहाज़ में आपके बीमार पड़ने की संभावना अधिक होती है क्योंकि आप “बासी” हवा में सांस लेते हैं.
वास्तव में हवाई जहाज़ में किसी सामान्य दफ्तर से कहीं बेहतर गुणवत्ता की हवा आपको मिल सकती है. ट्रेन और बस की तुलना में तो निश्चित तौर पर आपको ज़्यादा स्वच्छ हवा हवाई जहाज़ में मिलती है.हालांकि हवाई जहाज में एक समस्या यह ज़रूर है कि उसमें दूसरे सवारियों के साथ दूरी बनाने में परेशानी होती है, जिससे संक्रमण का ख़तरा काफी बढ़ जाता है.
किसी खास तरह के वाहन में दूसरे वाहन की तुलना में ज्यादा जोखिम की बात करना थोड़ा मुश्किल काम है क्योंकि जोखिम को घटाने और बढ़ाने में कई तरह की वजहें होती हैं.

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