(Front News Today) कोरोना… चीन से आई ये बीमारी… इस वक्त दुनिया की चिंता का सबब बनी हुई है…. जब 14 लाख से ज्य़ादा संक्रमित हों… और 6 लाख से ज्यादा इस कोरोना से अपनी जान गंवा चुके हों… तो ऐसे में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से आई इस खबर ने उम्मीद की एक किरण जगा दी है। कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित करने में ब्रिटेन की ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है… यूनिवर्सिटी की ओर से विकसित की गई इस कोरोना वायरस वैक्सीन का इंसानों पर ट्रायल हुआ जिसे उनके लिए सुरक्षित पाया गया है।
ब्रिटेन की एक मशहूर पत्रिका ‘द लांसेट’ में इंसाने पर किए गए ट्रायल के नतीजों को छापा है… जिसमे बताया गया है कि वायरल वेक्टर से बनी कोरोना वायरस वैक्सीन इंसानों को दिए जाने के बाद… उनमें वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पाई गई… साथ ही पत्रिका में ये भी लिखा है कि ये वैक्सीन इंसानों के लिए सुरतक्षित है। बता दें कि इस वैक्सीन का उत्पादन एस्ट्राजेनिका नाम की फार्मासूटिकल कंपनी कर रही है। ऑक्सफोर्ड इस वैक्सीन को बाकी देशों की वैक्सीन से इस लिए खास माना जा रहा है कि… क्योंकि ये वैक्सीन न वायरस के खिलाफ इंसानी शरीर को दौहरी सुरक्षा देता है। जिन मरीजों को ये दवा दी गई उनमें उनमें ऐंटीबॉडी और वाइट ब्लड सेल्स विकसीत होते हुए देखे गए… जिससे उनका शरीर वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता के साथ लड़ने में सक्षम हो सकता है… इस वैक्सीन की खास बात ये है कि अमूमन वैक्सीन के ऐंटीबॉडी बनती है… लेकिन इस वैक्सीन के जरिए शरीर में ऐंटीबॉडी के साथ-साथ किलर टी सेल्स भी पैदा हो रही है… ये हमारी श्वेत रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार है… जो इम्यून सिस्टम को मदद पहुंचाती है. इसके अलावा वो पता लगाती है कि शरीर की कौन सी कोशिका संक्रमित हो चुकी है और उसे नष्ट करती है, दरअसल रिसर्च में ये बात सामने आई है कि ऐंटीबॉडी कुछ महीनों में खत्म भी हो सकती हैं लेकिन T-cells सालों तक शरीर में रहते हैं। इन सबके बीच बड़ा सवाल ये भी था कि आखिर ये दवा किनती सुरक्षित है… क्या इसके कोई साइड इफैक्ट्स तो नहीं होंगे… तो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने ये भी साफ किया है कि इस वैक्सीन का इंसानों पर किसी तहर का बुरा प्रभाव नहीं पड़ा है… हालांकि वैक्सीन लेने वाले 70 प्रतिशत लोगों में बुखार और सिरदर्द की शिकायत देखी गई है… लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसी समस्याओँ को पैरासिटामोल से दूर किया जा सकता है। वहीं इससे पहले अमेरिका ने भी कोरोना की वैक्सीन बनाने की दावा किया था… जो सफल भी रहा था… ये टेस्ट शुरूआत में 45 लोगों पर किया गया था… जिसके परिणाम वैज्ञानिकों के मुताबिक अच्छे रहे थे… इन 45 लोगों की लोगों की उम्र 18 से 55 साल के बीच थी… और ये सभी स्वास्थ थे। लेकिन रूस ऐसा देश है जिसने सबसे पहले कोरोना वैक्सीन के सफल परीक्षण का दावा किया था… और ये दावा रूस की सेचेनोव फर्स्ट मॉस्को स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी नें किया… उनसे बताया कि दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं… साथ ही यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ने वैक्सीन के सुरक्षित होने की पुष्टि भी की है।

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