Front News Today (डॉ. राकेश प्रकाश): पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार को लेकर दबी जुबान में पार्टी के भीतर अलग-अलग फोरम पर मंथन जारी है। इसी सिलसिले में बीजेपी कार्यकर्ताओं की एक बैठक में विधानसभा में बीजेपी के नेता शुवेंदु अधिकारी ने भी हार के लिए पार्टी के भीतर जीत को लेकर नेताओं और कार्यकर्ताओँ के अति-उत्साह को जिम्मेदार ठहराया। बीजेपी के उम्मीद थी कि वह पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कम से कम 170 से 180 सीटों पर जीत हासिल करेगी। लेकिन चुनाव के नतीजे उम्मीद से काफी कम रहें। पार्टी को कुल 77 सीटों पर जीत से संतोष करना पड़ा। बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह की छवि भी इस चुनाव से काफी प्रभावित हुई है। अमित शाह को चुनावी खेल का महारथी माना जाता है। गुजरात विधानसभा चुनाव में जहां हालात बिलकुल विपरीत थे, वहां भी अमित शाह ने अपने चुनावी गणित के जरिए हार को जीत में बदल दिया था। लेकिन पश्चिम बंगाल चुनाव में मिली हार ने बीजेपी के चाणक्य के चुनावी चक्रव्यूह को तहस-नहस कर दिया है। पीएम मोदी का मैजिक, केंद्र सरकार की विकास की नीति और तूफानी चुनाव प्रचार की बदौलत भी बीजेपी बंगाल में 100 का आंकड़ा नहीं पार कर पाई। बात सिर्फ सीटों की नहीं है, वोट प्रतिशत के मामले में भी बीजेपी को पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले करीब 2 फीसदी वोट कम मिले हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि जनता के बीच पार्टी की पकड़ पहले के मुकाबले कमजोर हुई है। यही बात मिदनापुर में एक बैठक में बीजेपी नेता शुवेंदु अधिकारी ने भी कही। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर जितना काम पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को करनी चाहिए थी, उसमें कमी रह गई। इस का खामियाजा बीजेपी को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के रुप में चुकानी पड़ी। दरअसल बीजेपी नेता शुवेंदु अधिकारी के इस बयान के पीछे का मकसद यह है कि जिस तरह से तृणमूल कांग्रेस राज्य में दिनोंदिन हावी होती जा रही है, उसे आने वाले दिनों में रोकने के लिए अभी से एक ठोस राजनीतिक जमीन तैयार करना है।

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