Front News Today: हालांकि फरीदाबाद ने 2020 में 38 वा स्थान ग्रहण किया था जो 2021 में घटकर 41 वा हो गया है , लेकिन फिर भी वह सिल्वर श्रेणी में आया है स्वच्छता सर्वेक्षण क्या है
स्वच्छ सर्वेक्षण भारत भर के शहरों और कस्बों में स्वच्छता, सफाई का पैमाना नापने का एक वार्षिक सर्वेक्षण है। इसे स्वच्छ भारत अभियान के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था

फरीदाबाद में कूड़े की समस्याहमें यह सुनकर बड़ा आश्चर्य होगा कि अकेले फरीदाबाद से ही प्रतिदिन 600 मेट्रिक टन कूड़ा उत्पन्न होता है , जिसमें से बंधवाड़ी साइट पर केवल 400 मेट्रिक टन ही पहुंच पाता है , तो बाकी का 200 मेट्रिक टन कहां जाता है , यह एक सोचने का विषय है

साथ ही हमारे शहर में इसके अलावा प्रदूषण , कूड़े के ढेर जो प्राइवेट विक्रेताओं एवं रिक्शा द्वारा खुले स्थानों पर फेंक दिया जाता है इत्यादि जैसी समस्याएं भी प्रमुख हैंक्या है बंधवाड़ी साइट , और क्यों यह हमारे लिए एक सोचने का विषय बन गई है

गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड पर बांधवारी लैंडफिल 32 एकड़ में फैली और 250 फीट गहरे खनन की हुई है यह हरियाणा के गांवों में जैव विविधता और लोगों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है , यह लैंडफिल अत्यधिक संवेदनशील अरावली क्षेत्र में स्थित है और इसे अभी तक कोई पर्यावरण मंजूरी नहीं मिली है , फिर भी यह कूड़े का पहाड़ बन चुकी है
नीरी की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि आसपास के क्षेत्रीय गांवों के भूजल में हानिकारक धातु जैसे सीसा, क्रोमियम, तांबा, कैडमियम, बेरियम, जस्ता, लोहा आदि होने की पुष्टि हुई। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में बंधवाड़ी साइट के आसपास जंगली जानवर जैसे तेंदुए, धारीदार लकड़बग्घा, सियार, नीलगाय, साही, पाम सिवेट, इंडियन ग्रे नेवला, सुर्ख नेवला, मोर, खरगोश और रीसस मैकाक की मौजूदगी के बारे में बताया गया है , पर्यावरण के चश्मे से देखें तो यह जानलेवा बीमारी जैसे कैंसर , अस्थमा , समयपूर्व बीमारी एवं अन्य स्वास्थ्य संबंधी रोग को बढ़ावा दे रही है

कैसे हो सकता है इसका समाधान
हम सभी अपने घरों में दो डस्टबिन ( हरा एवं नीला ) का उपयोग कर गिरा एवं सूखे कूड़े को अलग-अलग करके गो ग्रीन गाड़ी को अनिवार्य रूप से डालें, और प्राइवेट रिक्शा को अपना कूड़ा देने से बचें क्योंकि यह आपके शहर में खुले में कूड़ा फेंक देते हैं इस प्रक्रिया को करने से हम 600 मेट्रिक टन की क्वांटिटी घटाकर इसे मात्र 300 मेट्रिक टन तक पहुंचा सकते हैं , साथ ही इससे बायो मेथेन गैस , खाद की बनाई जा सकती है

बढ़ते प्रदूषण को देखकर सरकार को इलेक्ट्रिक मोटर व्हीकल एवं जनता को पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ओर अपना रुख करना चाहिए

याद रहे हमारा भविष्य , हम पर ही निर्भर है

तरुण शर्मा ( वार्ड 38 कमेटी कोऑर्डिनेटर एवं टीम इंचार्ज , फरीदाबाद )

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