Front News Today: इतिहास को वर्तमान से मिलवाने कि चाह और जिज्ञासा ने एक व्यक्ति को लगभग 9 पीढ़ी और 250 साल बाद अपने पुरखों के गांव पहुंचा दिया। एक महामारी में उनके पूर्वज यहां से पलायन कर गए थे, उस समय भी एक महामारी (प्लेग) के कारण उनको पलायन करना पड़ा और दिलचस्प बात ये है कि 250 साल बाद एक महामारी ( कॉरॉना ) के दौरान ही वे यहां वापस आए। ऐसी ही कुछ अविश्वनीय कहानी है, विकास दसौंधी जी की।

दिल्ली में रहने वाले विकास दसौंधी इस नवरात्रि में करीब ढाई सौ साल बाद गुजरात, सूरत के भटगाम में स्थित अपने पूर्वजों के गांव पहुंचे। उनके साथ उनकी इस खोज में उनके भाई विवेक दसौंधी एवं ललित पहलवान शामिल रहे। यहां मौजूद महाकाली देवी के 900 साल पुराने मंदिर पर उन्होंने अपने पिता श्री रामदेव दसौंधी एवं अग्रज पिता श्री जयराम दसौंधी जी के साथ पूजा अर्चना की। उसके बाद उन्होंने मंदिर के ट्रस्टी श्री जिग्नेश पटेल एवं स्थानीय कोऑपरेटिव सोसायटी के चेयरमैन श्री नीलेश पटेल के साथ मिलकर मास्क और सैनिटाइजर का वितरण किया और गांव के बुजुर्गो को अपने पूर्वजों की धरती को मानते हुए शाल से उनका सम्मान किया।

श्री विकास दसौंधी जी ने नीलेश एवं जिग्नेश पटेल जी को अपना आभार प्रकार किया और बताया कि वो तो इस गांव से लौट रहे थे, तभी नीलेश और जिग्नेश ने उन्हें गांव घुमाया और उनकी जानकारी की पुष्टि भी की।

विकास दसौंधी जी बताते हैं कि उनके स्वर्गीय दादाजी श्री बसिष्ठ दसौंधी जी का आशीर्वाद और उनकी प्रेरणा ने ही उनको वर्षों बाद अपनों से मिलवा दिया। साथ ही वर्षों बाद अपने कुलदेवी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

अपने गांव की खोज के बारे में पूछने पर श्री विकास दसौंधी ने बताया कि बचपन से वे अपने उपनाम दसौंधी को लेकर काफी उत्सुक थे। फिर जैसे जैसे बड़े हुए, पारिवारिक तीज त्योहार और कार्यक्रम देखे तो उनमें रीती रिवाज स्थानीय लोगो से बिल्कुल भिन्न दिखे। इस बात ने उनकी उत्सुकता और बढ़ा दी। इसी बीच जब परिवारवालों से पता किया और खोजबीन कि तो पता चला के ढाई सौ साल पहले उनके पूर्वज गुजरात से बिहार और उत्तर प्रदेश पलायन किए थे। गुजरात में कहां से कैसे और क्यों, ये किसी को नहीं पता था। इन्होंने इस विषय की छानबीन करने की ठान ली। इंटरनेट पर सर्च करना, लोगो से बात करना और इतिहास कि किताबों को छानकर इन्होंने जानकारी एकत्रित की और भटगांव को चिन्हित किया। काफी उत्सुकता के साथ जब वे दिल्ली से इस यात्रा के लिए निकालना चाहते थे, तभी कॉरोना का लॉकडॉउन आ गया।
परन्तु इरादे बुलंद थे। इन्होंने जून के महीने के अंत में अपने गांव को खोज निकाला। और इस काम में उनके साथ रहे उनके भाई विवेक दसौंधी और ललित कुमार। इस मुहिम मे उन्हे स्थानीय तौर पर नीलेश पटेल और जिग्नेश पटेल का साथ प्राप्त हुआ। जिसके लिए वे इनका आभार प्रकट करते हैं।

उन्होंने उसी समय ये तय किया के वे इसे एक मुहिम बनाएंगे और जो लोग अपने पूर्वजों के गांव को ढूंडना चाहते हैं, और गांव से जुड़ना चाहते हैं उनकी मदद करेंगे। उनकी इस मुहिम में उनके साथ दिल्ली का चर्चित विशाल फाउंडेशन आया। विशाल फाउंडेशन ने इस मुहिम को आगे बढ़ाने का जिम्मा उठाया और इस मुहिम को नाम दिया “Connecting Villages – Connecting India”।

इसी मुहिम के तहत शनिवार को विशाल फाउंडेशन की टीम और दसौंधी परिवार ने भटगांव के माता के नवरात्रि के अवसर पर एक कार्यक्रम किया और देशव्यापी रूप से इस मुहिम को चलाने की बात कही।

विशाल फाउंडेशन ने श्री विकास जी को साधुवाद दिया और कहा कि समाज को ऐसे युवाओं की जरूरत है, जो अपनी जड़ों से जुड़ना चाहते हो। विशाल फाउंडेशन ने समाज कल्याण के कार्यों में सदा आगे रहने के अपने वचन को दोहराते हुए कार्यक्रम का समापन किया।

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